औद्योगिक क्रांति का स्वरूप (1760-1840ई.)
औद्योगिक क्रांति का स्वरूप
औद्योगिक क्रांति का स्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में हुए औद्योगिक विकास से स्पष्ट हो जाता है। औद्योगिक क्रांति का स्वरूप काफी विस्तृत था। औद्योगिक क्रांति का स्वरूप के चार क्षेत्र महत्त्वपूर्ण हैं।

औद्योगिक क्रांति का स्वरूप के क्षेत्र निम्नलिखित हैं
- औद्योगिक क्रांति का स्वरूप में कृषि
- औद्योगिक क्रांति का स्वरूप में परिवहन
- औद्योगिक क्रांति का स्वरूप में उद्योग
- औद्योगिक क्रांति का स्वरूप में आर्थिक सिद्धांत एवं नीति
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात
औद्योगिक क्रांति का स्वरूप : कृषि के क्षेत्र में
औद्योगिक क्रांति का स्वरूप में हम देखें तो कह सकते हैं, कि इंग्लैण्ड में कृषि के क्षेत्र में नवीन आविष्कारों तथा पद्धतियों से पैदावार में काफी वृद्धि हुई।
सबसे पहले एक अंग्रेज जमींदार जेथ्रो टल (1674-1740)ने वनस्पति जीवन की उपयुक्त अवस्थाओं का अध्ययन किया और भूमि जोतेन तथा बीज बोने के नए ढँगों का आविष्कार तिया।
1701 ई. में उसने सीड ड्रिल (बीज बोने का यंत्र) नामक एक मशीन का आविष्कार किया।टल ने दूसरा सुझाव दिया कि, किसानों को घासपात निकालने तथा भूमि को नरम बनाने के लिये घोङों से चलाए जाने वाले कर्षक (पटेला)यंत्र का प्रयोग करना चाहिए।
वाइकाउण्ड टाउनसैण्ड (1670-1738) ने किसानों को फसलों को बदल बदलकर उपजाने के लाभ समझाए।
1760 ई. के आस-पास रोबर्ट बेकबैल नामक अंग्रेज ने पशुपालन को एक लाभदायक व्यवसाय बना दिया। 1834 में साइरस एच.मैकेकोरमिक ने फसल काटने वाली मशीन का आविष्कार किया।
इंग्लैण्ड के धनी किसान आर्थर यंग (1744-1820ई.) ने इंग्लैण्ड, आयरलैण्ड, फ्रांस आदि देशों का दौरा किया और तत्कालीन कृषि-प्रणालियों का गहन अध्ययन करने के बाद नई खेती का प्रचार किया। उसने इससे संबंधित कई पुस्तकें भी लिखी थी।
औद्योगिक क्रांति का स्वरूप : परिवहन एवं संचार के क्षेत्र में
18 वीं सदी के अंतिम वर्षों में फ्रांस ने सङकों और नहरों का निर्माण करके दूसरे देशों को नेतृत्व दिया। इंग्लैण्ड और अमेरिका में भी प्रमुख नदियों और झीलों को मिलाती हुी नहरें खोदी गई।
सङक निर्माण का नया तरीका एक स्कॉटिश मकाडम (1756-1836)ने निकाला। इससे औद्योगिक क्रांति का स्वरूप काफी विस्तृत हुआ।
नहरों के क्षेत्र में सर्वप्रथम ड्यूक ऑफ ब्रिजवाटर ने विशेष योगदान दिया था।
1869 में फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डिनाद लेस्सेस ने स्वेज नहर जो भूमध्यसागर को लालसागर से मिलाती है, का निर्माण पूरा करवाया।
1807 ई. में एक अमेरिकी राबर्ट फुल्टन ने सर्वप्रथम हडसन नदी में सबसे पहली वाष्प शक्ति से चालित नौका क्लेरमोट का सफल परीक्षण किया।
प्रारंभ में स्वचालित इंजन का सफल आविष्कार इंग्लैण्ड के जेम्सवाट ने किया।
मोटरों को बनाकर उन्हें सस्ते दामों में बेचा गया, इस काम को करने का श्रेय हेनरी फोर्ड को जाता है, जो अमेरिका का था।
1839 में चार्ल्स गुडइयर ने यह खोज निकाला कि रबर का किस तरह वल्कनीकरण किया जाय कि वह सख्त हो जाये। इस खोज से मोटर उद्योग की उन्नति में बहुत अधिक सहायता मिली।
1903 ई. में बिलवर और ओरविले राइट नामक दो अमेरिकनों को हवा में उङने वाली मशीन बनाने में सफलता मिल गई। उसी के साथ विमान निर्माण उद्योग की स्थापना हुई। 1920 के बाद यात्रा और व्यापारिक कार्यों के लिये भी विमान सेवाएँ प्रारंभ हो गयी।
रालैण्ड हिल नामक एक अंग्रेज ने आधुनिक डाक व्यवस्था की नींव डाली। 1874 ई. में अंतर्राष्ट्रीय डाक संघ की स्थापना हुई।
1844 में सेमुअल मॉर्स ने एक व्यावहारिक तार यंत्र का आविष्कार किया। 1866 में साइरस फील्ड प्रथम अतलांतक समुद्री तार बिछाने में सफल हुआ।
1896 ई. में मारकोनी नामक एक इटालियन ने बेतार के तार से तार भेजने की मशीन बनाई।
औद्योगिक क्रांति का स्वरूप : उद्योग में क्रांति
उद्योग धंधों के क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति का स्वरूप सबसे ज्यादा सूती वस्त्र के उद्योग में फैला।1733 में जॉन के नामक एक अंग्रेज ने उङने वाली ढरकी (फ्लाइंग शटल) का आविष्कार किया।
1764 में जेम्स हारग्रीव्ज ने एक ऐसे चरखे का आविष्कार किया, जिसमें आठ सूत एक साथ काते जा सकते थे।हारग्रीव्ज ने इस मशीन का नाम अपनी पत्नी के नाम पर कतन जैनी (स्पिनिंग जैनी) रखा था।
1769 में प्रेस्टन निवासी रिचार्ड आर्कराइट ने सबसे पहली सूत कातने की मशीन पन-चौखट (वाटर-फ्रेम) बनाई थी।
1789 में सेमुअल क्राम्पटन ने पन-चौखट और कतन-जैनी दोनों को मिलाकर एक नई मशीन बनाई। इसे खच्चर (म्यूल)नाम दिया गया।
1785 में एडमंड कार्ट राइट ने एक ऐसी बुनाई की मशीन बनाई जो कताई मशीनों द्वारा किये जाने वाले उत्पादन की बराबरी कर सके। इसे शक्ति-चालित करघा (पावरलूम) के नाम से पुकारा जाने लगा।
औद्योगिक क्रांति का स्वरूप : आर्थिक सिद्धांत एवं नीति
आर्थिक सिद्धांत एवं नीति के क्षेत्र में भी औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप हुए। इससे पूर्व वाणिज्यवाद का सिद्धांत लागू था और एकाधिकार की नीति का बोलबाला था।
औद्योगिक विकास के फलस्वरूप पूँजीपति वर्ग का उदय एवं विकास हुआ, जो सरकार से यह माँग करने लगा, कि व्यापार-वाणिज्य के संबंध में सभी प्रकार के सरकारी प्रतिबंधनों को हटा दिया जाय तथा सरकार इसमें हस्तक्षेप करना छोङ दे।
इस नए सिद्धांत को अहस्तक्षेप की नीति या फिर स्वतंत्र व्यापार कहते हैं। एडम्स स्मिथ ने अपनी पुस्तक वैल्थ ऑफ नेशन्स में बहुत से नये आर्थिक सिद्धांत प्रतिपादित किये।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा
Online References
https://en.wikipedia.org/wiki/Industrial_Revolution