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प्रारंभिक मानव : औजारों का निर्माण

प्रारंभिक मानव : औजारों का निर्माण

प्रारंभिक मानव : औजारों का निर्माण(Early humans: The making of tools)

सर्वप्रथम यह याद रखना होगा कि औजारों का इस्तेमाल और औजार बनाने की क्रिया मानव तक ही सीमित नहीं है। पक्षी भी कुछ ऐसी चीजें बनाने के लिए जाने जाते हैं जो उन्हें भोजन प्राप्त करने, अपने आपको स्वच्छ रखने और सामाजिक संघर्ष में सहायता देने के लिए उपयोगी होती हैं। इसी प्रकार, कुछ चिपैंजी भी अपने भरण-पोषण के लिए जो औजार इस्तेमाल करते हैं उन्हें वह स्वयं बनाते हैं।

प्रारंभिक मानव के भोजन प्राप्त करने के तरीके

हालांकि, मनुष्यों में औजार बनाने के लिए कुछ विशेषताएँ हैं जो वानरों में नहीं पाई जाती हैं। कुछ विशेष प्रकार के शारीरिक और संभवतः स्नायुतंत्रीय अनुकूलनों के कारण हाथ का कुशलतापूर्ण प्रयोग संभव हुआ है और इस कार्य में शायद मनुष्यों के जीवन में औजारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही हो। इसके अलावा, मानव जिस प्रकार औजार बनाते और उनका प्रयोग करते हैं, उसमें अधिक स्मरण शक्ति, जटिल संगठनात्मक कौशल की आवश्यकता होती है और वानरों में इन दोनों विशेषताओं का अभाव रहा है।

पत्थर के औजार बनाने और उनका इस्तेमाल किए जाने का सबसे प्राचीन साक्ष्य इथियोपिया और केन्या के पुरा-स्थलों से प्राप्त होता है। यह संभव है कि आस्ट्रेलोपिथिकस ने सबसे पहले पत्थर के औजार बनाए थे।

अन्य क्रियाकलापों की तरह, औजार बनाने के बारे में भी हम यह नहीं जानते कि यह काम पुरुषों या स्त्रियों अथवा दोनों द्वारा मिलकर किया जाता था। यह संभव है कि पत्थर के औजार बनाने वाली स्त्री-पुरुष दोनों ही होते थे। संभव है कि स्त्रियाँ अपने और अपने बच्चों के भोजन प्राप्त करने के लिए कुछ खास औजार बनाती और इस्तेमाल करती रही होंगी।

लगभग, 35,000 वर्ष पहले जानवरों को मारने के तरीकों में सुधार हुआ। इस बात का प्रमाण यह है कि फेंक कर मारने वाले भालों तथा तीर-कमान जैसे नए किस्म के औजार बनाए जाने लगे। मांस को साफ किया जाने लगा। उसमें से हड्डियाँ निकाल दी जाती थी और फिर उसे सुखाकर, हलका सेंकते हुए सुरक्षित रख लिया जाता था। इस प्रकार, सुरक्षित रखे खाद्य को बाद में खाया जा सकता था।

कुछ और भी परिवर्तन आए, जैसे – समूरदार जानवरों को पकङा जाना, उनके रोएँदार खाल का कपङे की तरह प्रयोग और सिलने के लिए सुई का आविष्कार होना। सिले हुए कपङों का सबसे पहला साक्ष्य लगभग 21,000 वर्ष पुराना है। छेनी या रुखानी जैसे छोटे-छोटे औजार बनाने के लिए तकनीक शुरू हो गयी। इन नुकीले ब्लेडों से हड्डी, हाथी दाँत, सींग और लकङी पर नक्काशी करना या कुदेरना अब संभव हो गयी।

पंच ब्लेड तकनीक

क.) एक बङे पत्थर के ऊपरी सिरे को पत्थर के हथौङे की सहायता से हटाया जाता है।
ख.) इससे एक चपटी सतह तैयार हो जाती है जिसे प्रहार मंच यानी घन कहा जाता है।
ग.) फिर इस पर हड्डी या सींग से बने हुए पंच और हथौङे की सहायता से प्रहार किया जाता है।
घ.) इससे धारदार पट्टी बन जाती है जिसका चाकू की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है अथवा उनसे एक तरह की छेनियाँ बन जाती हैं जिनसे हड्डी, सींग, हाथीदाँत या लकङी को उकेरा जा सकता है।
ङ.) हड्डी पर नक्काशी का नमूना। इस पर अंकित जानवरों के चित्र चित्रित हैं।

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