ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है।यह वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें 10 मंडल , 1028 सूक्त, 3 शाखाएँ हैं। वेद मंत्रों को सूक्त कहा जाता है। गायत्री मंत्र का वर्णन ऋग्वेद में किया गया है। ऋग्वेद में देवताओं की स्तुति वाले मंत्र हैं।
ऋग्वेद की 3 शाखाएँ-
साकल शाखा- 1017 मंत्र (वर्तमान में उपलब्ध)
वाष्कल शाखा- वाष्कल शाखा में 57 मंत्र हैं।
वालखिल्य शाखा- वालखिल्य शाखा में 11 मंत्र हैं।
ऋग्वेद से संबंधित पुरोहित-होता/होतृ कहलाता था।( ऋक् संहिताका पुनर्सृजन कर प्रार्थना करने वाले पुरोहित)
सामवेद में साम शब्द का अर्थ है गान । अर्थात हम कह सकते हैं कि सामवेद में ऋग्वैदिक मंत्रों को गाने योग्य बनाया गया है। इसमें 1875 ऋचाएँ हैं । तथा 75 सूक्तों को छोङकर शेष सूक्त ऋग्वेद से लिए गये हैं।
इसे प्राचीन भारतीय संगीत शास्त्र कहा जाता है।
सामवेद का प्रमुख देवता सविता (सूर्य) है , किन्तु सूर्य के अलावा इंद्र तथा सोम का भी वर्णन मिलता है ।
सामवेद को भारतीय संगीत का मूल माना जाता है।
इस वेद का प्रथम द्रष्टा वेदव्यास के शिष्य जैमिनी को माना गया है।
अनुष्ठान और हवन के समय सामवेद के मंत्र गाये जाते हैं।
यजुर्वेद हिन्दु धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्म ग्रंथ है तथा 4 वेदों में से एक वेद है। इसमें गद्य तथा पद्य दोनों में मंत्र हैं लेकिन यह वेद मुख्य रूप से गद्यात्मक ग्रंथ है। यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मंत्रों को यजुस कहा जाता है।
यजुर्वेद में यज्ञों की विधियों का वर्णन मिलता है, यह वेद कर्मकाण्डीय ग्रंथ है।
ऋग्वेद की रचना सप्त-सिन्धु प्रदेश में हुई जबकि यजुर्वेद की रजना कुरुक्षेत्र प्रदेश में हुई।
अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्म ग्रंथ वेदों में से एक है। यह वेद सबसे बाद में लिखा गया। अथर्ववेद में देवताओं की स्तुति के साथ-2 चमत्कार, चिकित्सा विज्ञान और दर्शन के भी मंत्र हैं। इसके रचयिता श्री ऋषि अथर्व हैं।
यह वेद आर्य संस्कृति के साथ-2 अनार्य संस्कृति से भी संबंधित है। अतः इस वेद को पूर्व के तीन वेदों के समान महत्त्व , प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं है और इसे वेदत्रयी (ऋग्वेद , सामवेद , यजुर्वेद) में शामिल नहीं किया गया ।
इसमें 20 मंडल , 731 सूक्त, 5497 मंत्र मिलते हैं, जिसमें से 200 मंत्र ऋग्वेद से लिये हैं।
अथर्ववेद में तंत्र-मंत्र , जादू-टोना, शल्य चिकित्सा, औषधि विज्ञान की जानकारी भी मिलती है। (अनार्य संस्कृति के तत्व)
इस वेद को भारतीय चिकित्सा शास्त्र का प्राचीनतम ग्रंथ कहा जाता है।
मगध, अंग जैसे क्षेत्रों , हस्तिनापुर के राजा परीक्षित का उल्लेख भी अथर्ववेद में मिलता है। मगध के लोगों को अथर्ववेद में व्रात्यकहा गया है।