इतिहासउत्तर भारत और दक्कन के प्रांतीय राजवंशमध्यकालीन भारत
गोलकुण्डा का इतिहास

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गोलकुण्डा का मुस्लिम राज्य वारंगल के पुराने के पुराने हिन्दू राज्य के खण्डहरों पर कायम हुआ। गोलकुण्डा के कुतुबशाही वंश का संस्थापक कुलीशाह था। उसने 1512 या 1518ई. में अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की।
गोलकुण्डा के प्रमुख शासक-
- इब्राहीम (1550-1580ई.)- इसका शासन काल गोलकुण्डा के इतिहास का एक अविस्मरणीय युग था। वह एक बङा सुसंस्कृत व्यक्ति, प्रसिद्ध भाषाविद् और अपने साम्राज्य के हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों में बङा लोकप्रिय था। गोलकुण्डा के सुल्तानों में इब्राहीम पहला शासक था जिसने कुतुबशाह की उपाधि धारण की। वह दक्कनी राज्यों द्वारा विजयनगर के विरुद्ध गठित संयुक्त सैनिक मोर्चे में शामिल था।
- मुहम्मद कुली ( 1580-1612ई.)- यह हैदराबाद नगर का संस्थापक थाऔर दक्कनी उर्दूमें लिखित प्रथम काव्य संग्रह या दीवान का लेखक था। उसने दक्कनी और तेलगू को समान रूप से संरक्षण प्रदान किया।
- अब्दुल्ला- सुल्तान के अल्पायु होने के कारण उसकी सुयोग्य माता हयात बख्श बेगम ने शासन का संचालन किया। उसने अपने नाम पर अनेक ग्रामों, सरायों आदि का निर्माण कराया। 1687ई. में औरंगजेब ने इस राज्य पर अधिकार कर उसे मुगल साम्राज्य में मिला लिया। गोलकुण्डा साहित्यकारों का बौद्धिक क्रीङा स्थल था। अकबर का समकालीन सुल्तान मुहम्मद कुर्ली कुतुहशाह साहित्य एवं स्थापत्य कला में विशेष रुचि रखता था। वह पहला व्यक्ति था जिसने काव्य में धर्म निरपेक्ष विषयों पर लेकनी चलाई। उसे दक्कनी उर्दू काव्य का जन्मदाता माना जाता है। कुतुबशाही साम्राज्य की प्रारंभिक राजधानी गोलकुण्डा हीरो का विश्व प्रसिद्ध बाजार तथा मछलीपट्टनम एक प्रसिद्ध बंदरगाह था।
बीदर(1526-27 ई.)-
अमीर अली बरीद ने बीदर को स्वतंत्र घोषित करके बीदर शाही वंश की स्थापना की। इसे दक्कन की लोमङी कहा जाता है। 1618-19ई. में इस राज्य को बीजापुर ने हङप लिया। इनमें इमादशाही (बरार) और निजामशाही (अहमदनगर) राजवंशों के संस्थापक हिन्दू से इस्लाम धर्म स्वीकार करने वाले दक्कनी लोग थे। 1574ई. में बरार को अहमदनगर ने तथा 1618-19ई. में बीदर को बीजापुर ने हङप लिया। बहमनी साम्राज्य से स्वतंत्र होने वाले राज्य क्रमश: बरार, बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुण्डा तथा बीदर हैं।
दक्कन के राज्यों से संबंधित प्रमुख सरदार-

Reference : https://www.indiaolddays.com/