इतिहासगहङवाल राजवंशमध्यकालीन भारत

राठौङ शासक गोविन्दचंद्र की उपलब्धियां

मदनपाल के बाद उसकी रानी राल्हादेवी से उत्पन्न पुत्र गोविन्दचंद्र (1114-1155ईस्वी) गहङवाल वंश का शासक बना। वह इस वंश का सर्वाधिक योग्य एवं शक्तिशाली शासक था। उसने कन्नौज के प्राचीन गौरव को पुनः स्थापित करने का प्रयास किया। इस उद्देश्य से उसने कई स्थानों की विजय की थी। अपने पिता के शासनकाल में ही तुर्क आक्रमणकारियों का सफल प्रतिरोध कर वह अपनी वीरता का परिचय दे चुका था।

उसकी पत्नी कुमारदेवी के सारनाथ लेख में कहा गया है, कि दुष्ट तुरुष्क वीर से वाराणसी की रक्षा करने के लिये शिव द्वारा भेजे गये विष्णु का वह अवतार था।

गोविंदचंद्र के समकालीन पाल शासक रामपाल तथा मदनपाल थे। बिहार के कुछ क्षेत्र गोविंदचंद्र ने पाल शासक रामपाल से छीन लिये थे। उसने पाल शासक मदनपाल को पराजित कर मुंगेर पर भी अपना अधिकार कर लिया था।

इसी प्रकार कलचुरियों को पराजित कर गोविन्दचंद्र ने यमुना तथा सोन नदियों के बीच स्थित उनके कुछ प्रदेश अपने अधिकार में कर लिये थे।

गोविंदचंद्र ने ही सबसे पहले कलचुरि राजाओं द्वारा धारण की जाने वाली उपाधियां – अश्वपति, गजपति, नरपति, राजत्रयाधिपति धारण की थी।

एक कूटनीतिज्ञ के रूप में

विजेता होने के साथ-2 गोविंदचंद्र एक महान कूटनीतिज्ञ भी था। उसका चंदेल, चोल, कलचुरी, चालुक्य तथा कश्मीर के साथ मैत्री-संबंध था। पालों तथा उनके सामंतों से मैत्री संबंध सुदृढ करने के उद्देश्य से गोविंदचंद्र ने पीठी के चिक्कोरवंशी देवरक्षित की पुत्री तथा रामपाल के मामा मथनदेव राष्ट्रकूट की दौहित्री कुमारदेवी के साथ अपना विवाह किया। इस वैवाहिक संबंध से सरयूपार के क्षेत्रों की विजय में उसे सहायता प्राप्त हुई।

गोविंदचंद्र के कुछ सिक्के मिले हैं, जिन पर बैठी हुयी लक्ष्मी का चित्र अंकित है। गोविंदचंद्र के लेखों में उसे विविधविद्याविचारवाचस्पति कहा गया है। गोविंदचंद्र स्वयं विद्वान था। उसका मंत्री लक्ष्मीधर भी शास्रों का प्रकांड विद्वान था, जिसने कृत्यकल्पतरु नामक ग्रंथ लिखा । इसमें चौदह अध्याय हैं। प्रत्येक को कल्पतरु कहा गया है। इसका राजधर्म कल्पतरु तथा व्यवहार कल्पतरु क्रमशः राजनीति एवं विधि से संबंधित हैं। लक्ष्मीधर को मंत्र महिमा का आश्चर्य कहा गया है। जिसकी सहायता एवं परामर्श से गोविंदचंद्र को सफलता प्राप्त हुई थी। उसकी पत्नी कुमारदेवी बौद्धमतानुयायी थी।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

India Old Days : Search

Search For IndiaOldDays only

  

Related Articles

error: Content is protected !!