गुप्तकालीन चित्रकला में अजंता के चित्र
वासुदेवशरण अग्रवाल के शब्दों में गुप्तयुग में चित्रकला अपनी पूर्णता को प्राप्त हो चुकी थी। गुप्तकाल के पूर्व चित्रकला के उदाहरण बहुत कम मिलते हैं। प्रारंभिक चित्र प्रागैतिहासिक युग की पर्वत गुफाओं की दीवारों पर प्राप्त होते हैं। कुछ गुहा-मंदिरों की दीवारों पर भी चित्रकारियाँ मिलती हैं।

गुप्तकाल तक आते-2 चित्रकारों ने अपनी कला को पर्याप्त रूप से विकसित कर लिया। इस युग की चित्रकला के इतिहास प्रसिद्ध उदाहरण आधुनिक महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद जिले में स्थित अजंता तथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर के समीप स्थित बाघ नामक पर्वत गुफाओं से प्राप्त होते हैं। इनमें भी अजंता की गुफाओं के चित्र समस्त विश्व में प्रसिद्ध है।
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औरंगाबाद जिले में जलगाँव नामक रेलवे स्टेशन से लगभग पैंतीस मील की दूरी पर फर्दापुर नामक एक गाँव है। यहीं से चार मील दक्षिण-पश्चिम दिशा में अजंता स्थित है। यहाँ चट्टान को काटकर उन्तीस गुफायें बनायी गयी थी। इनमें चार चैत्यगृह तथा शेष विहार गुफायें थी।
1819 ईस्वी में मद्रास सेना के कुछ यूरोपीय सैनिकों ने इन गुफाओं अचानक खोज की थी। 1824 ईस्वी में जनरल सर जेम्स अलेग्जेन्डर ने रायल एशियाटिक सोसायटी की पत्रिका में प्रथम बार इनका विवरण प्रकाशित कर संसार को अजंता के दुर्लभ चित्रों की जानकारी दी।
अजंता के चित्रों के तीन प्रमुख विषय हैं-
- अलंकरण,
- चित्रण,
- वर्णन।
विविध फूल-पत्तियों, वृक्षों तथा पशु आकृतियों से अलंकरण का काम किया गया है। ये इतने अधिक प्रकार के हैं, कि किसी एक की पुनरावृत्ति नहीं होने पाई है।
किन्नर,नाग, गरुङ, यक्ष, गंधर्व, अप्सरा आदि अलौकिक एवं पौराणिक आकृतियों का उपयोग स्थान भरने के लिये किया गया है।
अनेक बुद्धों एवं बोधिसत्वों का चित्रण हुआ है। बुद्ध के भौतिक जीवन से संबंधित घटनाओं का सुंदर ढंग से चित्रण हुआ है। पहली गुफा में पद्मपाणि अवलोकितेश्वर का दृश्य चित्रण कला के चरमोत्कर्ष का सूचक है।
कहीं-2 लोकपालों एवं राजा-रानियों का भी चित्रण मिलता है। जातक ग्रंथों से ली गयी कथायें वर्णनात्मक दृश्यों के रूप में उत्कीर्ण हुई है।
अजंता के चित्रों की विधियाँ
- फ्रेस्कों – प्रथम में गीले प्लास्टर पर चित्र बनाये जाते थे तथा चित्रकारी विशुद्ध रंगों द्वारा ही की जाती थी।
- टेम्पेरा – द्वितीय विधि में सूखे प्लास्टर पर चित्र बनाये जाते थे, तथा रंग के साथ अंडे की सफेदी एवं सफेदी एवं चूना मिलाया जाता था। शंखचूर्णा, शिलाचूर्णा, सिता मिश्री, गोबर, सफेद मिट्टी, चोकर आदि को फेटकर गाढा लेप तैयार किया जाता था।
अजंता में फ्रेस्कों तथा टेम्पेरा दोनों ही विधियों से चित्र बनाये गये हैं।
चित्र बनाने से पूर्व दीवार को भली-भाँति रगङ कर साफ करते थे तथा फिर उसके ऊपर लेप चढाया जाता था। चित्र का खाका बनाने के लिये लाल खङिया का प्रयोग किया जाता था। रंगों में लाल, पीला, नीला, काला तथा सफेद रंग प्रयोग में लाये जाते थे। अजंता से पूर्व कहीं भी चित्रण में नीले रंग का प्रयोग नहीं मिलता। लाल तथा पीले रंग का प्रयोग अधिक किया गया है। रंगों में अलौकिक चमक है, जो अधंरी रात में चाँद-तारे की भाँति चमकते हैं।
विविध गुफाओं के चित्र
अजंता के गुफाचित्र बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। इनमें बुद्ध तथा बोधिसत्वों का चित्रण मिलता है। बुद्ध के जीवन की विविध घटनाओं तथा जातक कथाओं के दृश्यों का अंकन बहुतायत से किया गया है। इनका विवरण इस प्रकार है-
गुफा संख्या सोलह

इसकी चित्रकारी 500 ई. से प्रारंभ होती है। सत्रहवी गुफा के कुछ पूर्व की है। अजंता की 16 वी. गुफा के चित्रों में मरणासन्न राजकुमारी नामक चित्र सर्वाधिक सुंदर एवं आकर्षक है। यह पति के विरह में मरती हुई राजकुमारी का चित्र है। उसके चारों ओर उसके परीवारजन शोकाकुल अवस्था में खङे हैं। …अधिक जानकारी
सत्रहवी गुफा के चित्र विविध प्रकार के हैं। इसे चित्रशाला कहा गया है। ये अधिकतर बुद्ध के जन्म, जीवन, महाभिनिष्क्रमण तथा महापरिनिर्वाण की घटनाओं से संबंधित हैं। समस्त चित्रों में माता और शिशु नामक चित्र आकर्षक है, जिसमें संभवतः बुद्ध की पत्नी अपने पुत्र को उन्हें समर्पित कर रही है। असीम श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक माता तथा पुत्र दोनों एकटक रूप से बुद्ध को देख रहे हैं। …अधिक जानकारी
गुफा संख्या सत्रह
नवीं-दसवीं गुफाओं के चित्र
9वीं एवं 10वीं गुफाओं के चित्र सबसे प्राचीन हैं और उनका समय प्रथम शता. ईसा पूर्व निर्धारित किया जाता है। नवीं गुफा के चित्रों में एक विशेष प्रकार के शिरोवस्र या पगङी धारण किये हुए पुरुषों का चित्रण है। इनके गले में मोटी-2 मालायें हैं, जिनमें धातु खंड पहनाये गये हैं।…अधिक जानकारी।
पहली-दूसरी गुफाओं के चित्र
पहली-दूसरी गुफाओं के चित्रों में सबसे सुंदर चित्र फारस देश राजदूत का है, जो चालुक्य नरेश पुलकेशिन् द्वितीय के दरबार में आया था। इस चित्र में पुलकेशिन् को दूत का स्वागत करते हुये दिखाया गया है। इसमें राजा दक्षिणी परंपरा के अनुरूप अधोवस्र पहने हुये हैं तथा राजदूत को ईरानी टोपी, जामा तथा चुस्त पायजामा पहने हुये चित्रित किया गया है। राजदूत की दाढी भी ईरानी ढंग की है। …अधिक जानकारी
अजंता चित्रकला से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर
अजंता चित्रकला किस काल से संबंधित है
अजंता कहां स्थित है
अजंता के गुफाचित्र किस धर्म से संबंधित हैं
चित्रशाला कौनसे नंबर की गुफा को कहा गया है
अजंता कि चित्रों में कौनसी गुफा के चित्र सबसे प्राचीन हैं
बोधिसत्व पद्मपणि अवलोकितेश्वर का सुंदर चित्र कौनसी गुफा के चित्र में चित्रित है
Reference : https://www.indiaolddays.com