प्राचीन भारतइतिहासगुप्त कालचित्रकला

अजंता की गुफा संख्या 17 के चित्र

गुप्तयुग में चित्रकला अपनी पूर्णता को प्राप्त हो चुकी थी। गुप्तकाल के पूर्व चित्रकला के उदाहरण बहुत कम मिलते हैं। प्रारंभिक चित्र प्रागैतिहासिक युग की पर्वत गुफाओं की दीवारों पर प्राप्त होते हैं। कुछ गुहा-मंदिरों की दीवारों पर भी चित्रकारियाँ मिलती हैं। अजंता के गुफाचित्र बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। इनमें बुद्ध तथा बोधिसत्वों का चित्रण मिलता है। बुद्ध के जीवन की विविध घटनाओं तथा जातक कथाओं के दृश्यों का अंकन बहुतायत से किया गया है।

गुप्तकाल तक आते-2 चित्रकारों ने अपनी कला को पर्याप्त रूप से विकसित कर लिया। इस युग की चित्रकला के इतिहास प्रसिद्ध उदाहरण आधुनिक महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद जिले में स्थित अजंता नामक स्थान स्थित है।

यहाँ चट्टान को काटकर उन्तीस गुफायें बनायी गयी थी। इनमें चार चैत्यगृह तथा शेष विहार गुफायें थी। इन गुफाओं पर चित्रकारी की गई है। इन गुफाओं में गुफा संख्या 17 का विवरण निम्नलिखित है-

सत्रहवी गुफा के चित्र विविध प्रकार के हैं। इसे चित्रशाला कहा गया है। ये अधिकतर बुद्ध के जन्म, जीवन, महाभिनिष्क्रमण तथा महापरिनिर्वाण की घटनाओं से संबंधित हैं। समस्त चित्रों में माता और शिशु नामक चित्र आकर्षक है, जिसमें संभवतः बुद्ध की पत्नी अपने पुत्र को उन्हें समर्पित कर रही है। असीम श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक माता तथा पुत्र दोनों एकटक रूप से बुद्ध को देख रहे हैं।

इस चित्र को देखने से सहानुभूति एवं करुणा टपकती है। हैवेल महोदय ने तो इस चित्र को जावा के बोरोबुदुर से प्राप्त बौद्ध कला की समकक्षता में रखना पसंद किया है। बुद्ध के जीवन से संबंध रखने वाले चित्रों में उनके महाभिनिष्क्रमण का एक चित्र अत्यंत सजीवता के साथ उत्कीर्ण किया गया है। इसमें युवक सिद्धार्थ के सिर पर मुकुट है तथा शरीर सुडौल है। आंखों से अहिंसा, शांति एवं वैराग्य टपक रहा है।

मुखमुद्रा गंभीर एवं सांसारिकता से उदासीन प्रतीत होती है। निवेदिता के शब्दों में यह चित्र शायद बुद्ध का महानतम कलात्मक प्रदर्शन है, जिसे संसार ने कभी देखा है। ऐसी कल्पना कठिनता से दुबारा उत्पन्न हो सकती है।

एक अन्य चित्र में कोई सम्राट एक सुनहले हंस से बातें करता हुआ चित्रित किया गया है। निवेदिता के विचार में इस चित्र से बढकर विश्व में कोई दूसरा चित्र नहीं हो सकता।

इसी गुफा में आकाश में विचरण करते हुए गंधर्वराज को अप्सराओं तथा परिचायकों के साथ चित्रित किया गया है। अन्य चित्रों में काले मृग, हाथी एवं सिंह के शिकार के दृश्यों का अंकन कुशलता के साथ किया गया है। अजंता की गुफाओं में जातक कथाओं से लिये गये दृश्यों का भी बहुविध अंकन प्राप्त होता है। जातक कथायें सबसे अधिक सत्रहवीं गुफा में चित्रित की गयी हैं। महाकपि जातक, हंस जातक, हस्ति जातक, छंदंत जातक, महासुतसोम जातक, साम के साथ -2 उनके पूर्व जन्मों से संबंध रखने वाली कथाओं का भी पूर्ण चित्रण प्राप्त होता है।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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