प्राचीन भारतइतिहासगुप्त कालचित्रकला

नवीं-दसवीं गुफाओं के चित्र

गुप्तयुग में चित्रकला अपनी पूर्णता को प्राप्त हो चुकी थी। गुप्तकाल के पूर्व चित्रकला के उदाहरण बहुत कम मिलते हैं। प्रारंभिक चित्र प्रागैतिहासिक युग की पर्वत गुफाओं की दीवारों पर प्राप्त होते हैं। कुछ गुहा-मंदिरों की दीवारों पर भी चित्रकारियाँ मिलती हैं। अजंता के गुफाचित्र बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। इनमें बुद्ध तथा बोधिसत्वों का चित्रण मिलता है। बुद्ध के जीवन की विविध घटनाओं तथा जातक कथाओं के दृश्यों का अंकन बहुतायत से किया गया है।

गुप्तकाल तक आते-2 चित्रकारों ने अपनी कला को पर्याप्त रूप से विकसित कर लिया। इस युग की चित्रकला के इतिहास प्रसिद्ध उदाहरण आधुनिक महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद जिले में स्थित अजंता नामक स्थान स्थित है।

यहाँ चट्टान को काटकर उन्तीस गुफायें बनायी गयी थी। इनमें चार चैत्यगृह तथा शेष विहार गुफायें थी। इन गुफाओं पर चित्रकारी की गई है। इन गुफाओं में गुफा संख्या 9-10 के चित्रों का विवरण निम्नलिखित है-

9वीं एवं 10वीं गुफाओं के चित्र सबसे प्राचीन हैं और उनका समय प्रथम शता. ईसा पूर्व निर्धारित किया जाता है। नवीं गुफा के चित्रों में एक विशेष प्रकार के शिरोवस्र या पगङी धारण किये हुए पुरुषों का चित्रण है। इनके गले में मोटी-2 मालायें हैं, जिनमें धातु खंड पहनाये गये हैं।

कानों में बङे-2 कर्णफूल जैसे आभूषण, हाथों में मोटे कङे, कमर में विशेष प्रकार के कमरबंद हैं, जिन्हें करघनी भी कहा जाता है। इसी प्रकार के शिरोभाग तथा आभूषण भरहुत एवं सांची की मूर्तियों में दिखाई देते हैं। प्रवेश द्वार के पास एक शिलालेख है तथा इसी के पास एक राजकीय जूलूस का चित्र बनाया गया है।

इसमें राजा, रानी तथा बहुत से स्री-पुरुषों को दिखाया गया है। जुलूस एक तोरण द्वार से होकर स्तूप तक जाता है, जहां राजा स्तूप की पूजा करता है। हाथी सूंढ उठाकर स्तूप को प्रणाम करते हुए दिखाये गये हैं। स्तूप पूजा का यह दृश्य अत्यधिक सुंदर है।

दसवीं गुफा में साम जातक एवं छदंत जातक से ली गयी कथायें अंकित हैं। हाथियों को विविध प्रकार से क्रीङा करते हुए सुंदरता से चित्रित किया गया है। आम, गूलर, बरगद जैसे वृक्षों का भी चित्रण है। छदंत जातक की कथा को भी अत्यंत कुशलतापूर्वक चित्रित किया गया है। गुफा के स्तंभों पर बुद्ध की अनेक आकृतियां बनाई गयी हैं। इन चित्रों पर गंधार शैली का प्रभाव दिखाई देता है।

नवीं-दसवीं गुफाओं के चित्रण भारतीय चित्रकला के प्राचीनतम नमूने हैं। इसके बाद लगभग 300 वर्षों तक चित्रण कला का अभाव है। तारानाथ का विचार है, कि गुप्तकाल में बिम्बिसार नामक कलाकार के नेतृत्व में स्थापत्य तथा चित्रकला का पुनरुत्थान हुआ। इसे कला की मध्य देशीय शैली कहा जाता है। इस चित्र का अलंकरण अत्यंत विस्तृत है। यहां चित्रण विधान सामान्य स्तर का प्रतीत होता है। चित्रों की पृष्ठभूमि में वृक्षों का अंकन विशेष रूप से किया गया है।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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