इतिहासगुप्त कालप्राचीन भारत

गुप्त राजाओं का तिथिक्रम (वंशक्रम)

शुंग वंश के पतन के बाद सनातन संस्कृति की एकता को फिर से एकजुट करने का श्रेय गुप्त वंश के लोगों को जाता है। गुप्त वंश की स्थापना 320 ई. लगभग चंद्रगुप्त प्रथम ने की थी और 510 ई. तक यह वंश शासन में रहा। इस काल में कला, विज्ञान, धर्म और साहित्य का खूब विकास हुआ। लेकिन इतिहास में श्रीगुप्त तथा घटोत्कच के भी नाम मिलते हैं, जिनको गुप्त वंश से संबंधित ही माना जाता है,लेकिन गुप्त वंश की स्थापना का श्रेय चंद्रगुप्त प्रथम को ही दिया जाता है।

गुप्त शासकों का कालक्रम निम्नलिखित है-

  1. श्रीगुप्त तथा घटोत्कच – 275 से 319 ईस्वी।
  2. चंद्रगुप्त प्रथम – 319 से 350 ईस्वी।
  3. समुद्रगुप्त – 350 से 375 ईस्वी।
  4. चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य – 375 से 415 ईस्वी।
  5. कुमारगुप्त प्रथम – 415 से 455 ईस्वी।
  6. स्कंदगुप्त – 455 से 467 ईस्वी।
  7. पुरुगुप्त – 467 से 473 ईस्वी।
  8. कुमारगुप्त द्वितीय – 473 से 477 ईस्वी।
  9. बुधगुप्त – 477 से 495 ईस्वी।
  10. नरसिंहगुप्त बालादित्य – 495 से 530 ईस्वी।
  11. भानुगुप्त – 510 ईस्वी से।
  12. वैन्यगुप्त – 507 ईस्वी से।
  13. कुमारगुप्त तृतीय – 530 से 543 ईस्वी।
  14. विष्णुगुप्त – 543 से 550 ईस्वी।

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गुप्त शासकों से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • नृसिंहगुप्त बालादित्य को छोड़कर सभी गुप्तवंशी राजा वैदिक धर्मावलंबी थे। बालादित्य ने बौद्ध धर्म अपना लिया था।
  • आरंभ में इनका शासन केवल मगध पर था, परन्तु बादमें संपूर्ण उत्तर भारत को अपने अधीन कर लिया था। इसके बाद दक्षिण में कांजीवरम के राजा ने भी आत्मसमर्पण कर दिया था।
  •  स्कंदगुप्त के समय हूणों ने कंबोज और गांधार (उत्तर अफगानिस्तान) पर आक्रमण किया था। हूणों ने अंतत: भारत में प्रवेश करना शुरू किया। हूणों का मुकाबला कर गुप्त साम्राज्य की रक्षा करना स्कन्दगुप्त के राज्यकाल की सबसे बड़ी घटना थी।
  • स्कंदगुप्त और हूणों की सेना में बड़ा भयंकर मुकाबला हुआ और गुप्त सेना विजयी हुई। हूण कभी गांधार से आगे नहीं बढ़ पाए, जबकि हूण और शाक्य जाति के लोग उस समय भारत के भिन्न- भिन्न इलाकों में रहते थे।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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