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कुमारगुप्त तृतीय का इतिहास

नरसिंहगुप्त के बाद उसका पुत्र कुमारगुप्त तृतीय मगध का राजा बना। भितरी तथा नालंदा मुद्रालेखों में उसकी माता का नाम महादेवी मित्रदेवी मिलता है। दामोदरपुर के 5वें ताम्रपत्र में किसी शक्तिशाली गुप्त राजा का उल्लेख मिलता है, जिसकी उपाधियाँ परमदैवतपरमभट्टारक,महाराजाधिराज मिलती हैं। उसके नाम का केवल प्रथमाक्षर कु प्राप्त हुआ है। अतः इस शासक को हमें कुमारगुप्त तृतीय ही मानना चाहिये। इस लेख की तिथि गुप्त संवत् 224 अर्थात् 543 ईस्वी है। कुमारगुप्त तृतीय गुप्तवंश का अंतिम महान शासक था।

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नालंदा से प्राप्त एक मुद्रालेख में विष्णुगुप्त का लेख मिलता है, जो उसका पुत्र था। विष्णुगुप्त ने 550 ईस्वी तक राज्य किया। इसके बाद गुप्त साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया।

  • कुमारगुप्त तृतीय ने अपने पिता नरसिंह गुप्त के समान ही सोने के सिक्के चलवाये और उसकी ही तरह अपने नाम के पीछे ‘क्रमादित्य‘ उपाधि लगायी।
  • सिक्कों में मिलावट की मात्रा लगातार बढ़ती गई, जो इस समय के गुप्त शासकों के तेजी से पतन की ओर जाने को स्पष्ट करता है।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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