हङप्पा नगर

हङप्पा नगर(HARAPPA)- सिंधु घाटी सभ्यता का उत्खनन का कार्य हङप्पा नामक स्थान से ही किया गया था, इसलिए ही इस सभ्यता का नाम हङप्पा सभ्यता पङा।हङप्पा सिंधु सभ्यता की प्रथम राजधानी स्वीकार की गई है। हङप्पा का प्रथम पुरातात्विक उत्खनन 1921 ई. में किया गया था। प्रथम उत्खनन का कार्य पुरातात्विक विभाग के निर्देशक जॉन मार्शल के नेतृत्व में दयाराम साहनी के द्वारा किया गया।1923 में इसका नियमित उत्खनन प्रारंभ हुआ। इसके अलावा माधोस्वरूप वत्स ने 1923में तथा व्हीलर ने 1946में खुदाई का कार्य किया था। हङप्पा रावी नदी के तट पर मांटगुमरी जिले में पंजाब में स्थित है , जो अब पाकिस्तान में है।हङप्पा के टीले या ध्वंशावशेषों के बारे में सर्वप्रथम जानकारी 1826 ई. में चाल्स मैसन ने दी थी।
हङप्पा से मिले साक्ष्य-
- हङप्पा से एक दर्पण प्राप्त हुआ है जो ताँबे का बना हुआ है।
- हङप्पा के बर्तनों पर लेख प्राप्त हुए हैं, यहां से प्राप्त कुछ बर्तनों में मानव आकृतियाँ भी मिली हैं।
- हङप्पा से प्राप्त मुद्रा में गरुङ का चित्र है।
- यहाँ से ताँबे की बनी एक इक्का गाङी प्राप्त हुई है।
- हङप्पा से काँसे की बनी हुई खिलौना के रुप की गाङियां मिली हैं।
- यहाँ से एक समाधिगृह के प्रमाण मिले हैं , जिसे कब्रिस्तान “R-37” एवं समाधि – एच के नाम से जाना जाता है । R-37 का संबंध हङप्पा चरण एवं H-प्रकार का संबंध परवर्ती हङप्पा चरण से है।
- हङप्पा से मातृदेवी की मृण्मूर्ति मिली है।
- हङप्पा से लिंग पूजन के सर्वाधिक साक्ष्य मिले हैं।
- यहाँ से जली हुई ईंटों के आवास तथा जल निकासी के प्रमाण मिले हैं।
- मानव धङ मिला है जो लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है।
- यहाँ पर 6-6 की दो पंक्तियों में निर्मित कुल 12 कमरों वाला एक अन्नागार मिला है।यह अन्नागार नदी के निकट ही है जिससे लगता है कि इससे जल परिवहन द्वारा पानी की आपूर्ति की जाती होगी।तथा अन्नागारों के मुह नदी की ओर खुलते थे जिससे पानी के रास्ते अन्नाज का व्यापार करते थे।
- सिंधु सभ्यता की अभिलेख वाली मुहरें सर्वाधिक हङप्पा से मिली हैं।
- हङप्पा से दो कमरों वाले भी बैरक भी प्राप्त हुए हैं जो शायद मजदूरों के रहने के लिए थे ।
- नगर की रक्षा के लिए पश्चिम की ओर बने दुर्ग को ह्वीलर ने माउण्ट ए- बी की संज्ञा दी है।
प्रश्न 1. कथन – हङप्पा सभ्यता के नगरीकरण से सामाजिक विभेद का पता चलता है।
कारण – हङप्पाई नगर दो भागों में बंटा हुआ था , पश्चिमी भाग टीले पर स्थित सुरक्षित दीवार से घिरा हुआ था।
उत्तर – कथन और कारण दोनों सही हैं, तथा व्याख्या हो रही है।
हङप्पा से मिले ऐसे साक्ष्य जिनके बारे में परीक्षाओं में बार-बार पूछा जाता है-
- एक बर्तन पर बना मछुआरे का चित्र , शंख का बना बैल,स्री के गर्भ से निकला पौधा,पीतल की बनी इक्का गाङी, गेहूँतथा जौ के दाने,ईंटों के बने वृताकार चबूतरे आदि महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं।
हङप्पा से प्राप्त दो टीलों में पूर्वी टीले को नगर टीला तथा पश्चिमी टीले को दुर्ग टीला कहा गया है। हङप्पा के उत्खनन से एक पूर्ण नियोजित नगर के पूर्व में होने के प्रमाण मिले हैं।यह नगर ऊपरी एवं निचले दो भागों में विभक्त था।
हङप्पा का नाश – हङप्पा सबसे पहला खोजा गया स्थल था , इसे ईंट चुराने वालों ने बुरी तरह से नष्ट कर दिया था। 1875 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के पहले जनरल अलेक्जैंडर कनिंघम, जिन्हें भारतीय पुरातत्व का जनक कहा जाता है , ने लिखा है कि प्राचीन स्थल से ले जाई गई ईंटों की मात्रा लगभग 100 मील थी । लाहौर से मुल्तान के बीच बिछाने के लिए पर्याप्त थी। इस प्रकार इस स्थल की कई प्राचीर संरचनाएँ नष्ट कह दी गई। इसके विपरीत मोहनजोदङो कहीं अधिक संरक्षित था। (N.C.E.R.T. BOOK से)