प्राचीन भारतइतिहाससिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

महत्वपूर्ण तथ्य – सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित प्रश्न कई प्रतियोगी परिक्षाओं में पूछे जाते हैं । प्रतियोगी परिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए हमने यहाँ सिंधु घाटी ( हङप्पा ) सभ्यता से संबंधित कई महत्वपूर्ण बाते बताने की कोशिश करी है ।
- हङप्पा सभ्यता- साहित्यिक स्रोत नहीं या उपयोग नहीं हुआ। यह आद्य ऐतिहासिक काल का भाग है।
- पुरातात्विक स्रोत- मृण्मूर्तियां, मोहनजोदङो, लोथल आदि से प्राप्त वर्गाकार मुहर
- धौलावीरा से प्राप्त चित्रित अभिलेख
- भवन एवं स्मारक- स्नानागार, अनागार, पुरोहित आवास, स्टेडियम, गोदीबाङा।
- कारखाना- पत्थर के औजार, सीप के तार, मनका निर्माण के कारखाने
- धातु मूर्तियां, प्रस्तर मूर्तियां
- मेसोपोटामियां, मिश्र एवं तुर्कगेनिस्तान से प्राप्त हङप्पाई वस्तुएँ।
- पुरातात्विक स्रोतों से हङप्पा की नगरीकरण की जानकारी मिलती है लेकिन उद्भव व पतन की जानकारी सिमित मिलती है।
- सिंधु सभ्यता के लिए सिंधु घाटी की सभ्यता, हङप्पा सभ्यता तथा सिंधु-सरस्वती सभ्यता का प्रयोग भी किया जाता है।
- यह सभ्यता लगभग 3000ई.पू. में अस्तित्व में आई।
- हङप्पा सभ्यता, मिस्र, मेसोपोटामियां एवं चीन की प्राचीन सभ्यताओं के समकालीन थी। इस सभ्यता का नामकरण हङप्पा नामक स्थल के नाम पर किया गया है, जो अब पाकिस्तान में है।
- वर्तमान में हङप्पा पश्चिमी पंजाब में रावी नदी के तट पर स्थित है, इस सभ्यता को सिंधु सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस सभ्यता के बहुत से स्थल सिंधु नदी की घाटी में सकेंद्रित हैं।
- रेडियोकार्बन C14 जैसी विश्लेषण पद्धति के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता की तिथि 2400ई.पू. से 1700ई.पू. मानी गई। रेडियोकार्बन डेंटिंग तकनीक का आविष्कार 1947ई. में शिकागो विश्वविद्यालय के विलार्ड फ्रैंक लिब्बी और उनके साथियों ने किया था।
- सिंधु सभ्यता की खोज रायबहादुर साहनी ने 1921ई.में की थी।
- यह सभ्यता त्रिभुजाकार क्षेत्र में फैली हुई थी तथा इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किमी. था।
- 1826ई. में सर्वप्रथम चाल्स मर्सन को हङप्पा से बङी संख्या में ईंटें प्राप्त हुई थी।
- 1856 ई. में करांची और लाहौर के बीच रेल मार्ग बनाने के लिए ईंटों की आवश्यकता हुई , परिणामस्वरूप हङप्पा के खंण्डहरों की खुदाई की गई। खुदाई करते समय ही यहाँ एक प्राचीनतम स्थल होने का आभास हुआ।
- विद्वानों ने हङप्पा को सिंधु घाटी सभ्यता की प्रथम राजधानी कहा है।
- हङप्पा से प्राप्त भंडारागार का प्रमुख प्रवेश द्वार नदी की ओर था।
- हङप्पा के बर्तनों पर लेख प्राप्त हुए हैं।
- यहाँ से प्राप्त बर्तनों पर मानव आकृतियां भी प्राप्त हुई हैं।
- हङप्पा से एक दर्पण प्राप्त हुआ है , जो ताँबे का बना है। स्वास्तिक चिह्व भी हङप्पा की ही देन है।इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि सिंधुवासी सूर्योपासना करते थे।
- सिंधु सभ्यता से प्राप्त ईंटों का अनुपात 4: 2 : 1 (लंबाई : चौङाई : ऊंचाई)।
- ऋगवेद में हङप्पा सभ्यता को हरियूपिया कहा गया है।
- मेसोपोटामियां साहित्य में प्रयुक्त मेलुहा शब्द से सिंधु घाटी की पहचान की जाती है।
- सिंधुवासी बतख को पवित्र मानते थे।
- मेसोपोटामिया में पाई गई हङप्पा की मुहर सिंधु घाटी की तिथि निश्चित करने में सहायक है।
- हङप्पा से प्राप्त मुहरों पर एक श्रृंगी पशु का अंकन सर्वाधिक मिलता है।
- हङप्पा से प्राप्त मुद्रा में गरुङ का अंकन मिला है। हङप्पा से ताँबा से बनी एक इक्का गाङी मिली है।
- चांदी का सर्वप्रथम प्रयोग हङप्पा के काल में हुआ था।
- सिंधु प्रदेश में मंदिरों के कोई अवशेष प्राप्त नहीं हुए। सिंधुवासियों ने सर्वप्रथम कपास की खेती की थी।
- सिंधु वासियों की मुद्राओं पर नाव,पीपल के वृक्ष ,हाथी के चित्रों का अंकन किया गया है।
- सिंधुकालीन मुद्राओं के निर्माण में विभिन्न प्रकार के पदार्थों के प्रयोग के साथ सेलखङी का प्रयोग बहुतायत से किया गया है।
- सिंधु कालीन मुद्राएँ वर्गाकार,चतुरभुजाकार और बेलनाकार होती थी।
- सिंधुकालीन मुहरों पर पक्षियों के चित्र नहीं मिलते ।
- सिंधुकालीन नारी की मूर्तियों में कुरूपता दर्शित होती है।
- उत्खनन में प्राप्त सूईयों से ज्ञात होता है कि सिंधु निवासी सिले हुए कपङे पहनते थे।
- सिंधुकालीन मिट्टी से बनी सङकें 30से 35 फुट चौङी होती थी। तथा यहाँ की गलियाँ 3फुट चौङी होती थी।
- सिंधुवासी पशुपति महादेव की पूजा करते थे।
- कर्नल स्यूयल का मत है कि सिंधुवासी हिरणों के सींग का चूर्ण बनाकर उसे औषधि के रूप में काम लेते थे।
- सिंधुवासी नींबू से परिचित थे। यहाँ के लोग राजस्थान स्थित खेतङी की खदानों से ताँबा प्राप्त करते थे।
- सिंधु सभ्यता की सङकें मिट्टी की बनी थी।
- सिंधु सभ्यता की लिपि चित्र प्रधान लिपि थी। इस लिपि में लगभग 400 वर्ण हैं।
- सिंधु वासियों को लोहे का ज्ञान नहीं था।
- सिंधु लिपि दांई ओर से बाईं और फिर बाईं ओर से दाहिनी ओर लिखी गई है।
- स्वतंत्रता के बाद हङप्पा सभ्यता के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खाजे गये हैं।
- हङप्पा काल में मातृदेवियों की प्रधानता थी।
- खिलौनों के रूप में कांसे की गाङियां हङप्पा से मिली हैं तथा नगर योजना सिंधु सभ्यता की महत्वपूर्ण विशेषता है, ये नगर जाल पद्धति पर बने थे।
- सैन्धव सभ्यता के हथियार पत्थर,ताँबे, कांसे के बने थे।
- सैन्धव सभ्यता का सुमेर,ईरान,बहरीन से व्यापारिक संबंध था।
- हङप्पा संस्कृति का समाज मातृसतात्मक था।
- हङप्पा वासियों के द्वारा निर्मित मृण मूर्तियों के विषय थे – खिलौने,पूजार्पित पशु, मानव आकृतियां।
- सिंधु सभ्यता के लोगों का मुख्य भोजन गेहूँ था।
- कब्रिस्तान R-37 का साक्ष्य हङप्पा से प्राप्त हुआ है।
- हङपाकालीन स्थल हल्लूर से तलवार बनाने के साक्ष्य मिले हैं।
- सिंधु अथवा हङपाकालीन सभ्यता ताम्राश्म अथवा कांस्युगीन सभ्यता है।
- कांस्युगीन सिंधु सभ्यता नाम का प्रयोग करने वाले प्रथम पुरातत्वविद् थे।
- हङप्पा से प्राप्त धरती देवी की समानता मिस्र की आइसिस देवी से की जाती है।
- लिंग पूजन के सर्वाधिक प्रमाण हङप्पा से प्राप्त हुए हैं।
- सिंधु सभ्यता की सर्वोत्तम कलाकृतियां वहां से प्राप्त मुहरें हैं।