इतिहासगुप्त कालप्राचीन भारत

गुप्तों का धार्मिक जीवन

गुप्त राजाओं का शासन काल ब्राह्मण (हिन्दू) धर्म की उन्नति के लिये प्रख्यात है। गुप्त शासक वैष्णव धर्म के अनुयायी थे तथा उनकी उपाधि परमभागवत की थी। उन्होंने वैदिक यज्ञों का अनुष्ठान किया। परंतु स्वयं नैष्ठिक वैष्णव होते हुये भी, उनका दृष्टिकोण पूर्णतया धर्म सहिष्णु था तथा वे किसी भी अर्थ में प्रतिक्रियावादी नहीं थे।

उनकी धार्मिक सहिष्णुता एवं उदारता की नीति ने इस काल में विभिन्न धर्मों एवं संप्रदायों को फलने-फूलने का समुचित अवसर प्रदान किया था। वे बिना किसी भेद-भाव के उच्च प्रशासनिक पदों पर सभी धर्मानुयायियों की नियुक्तियाँ करते थे। सम्राट समुद्रगुप्त ने अपने पुत्र की शिक्षा – दीक्षा के लिये प्रख्यात बौद्ध विद्वान वसु-बंधु को नियुक्त किया था। चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य ने शैव वीरसेन तथा बौद्ध आम्रकार्द्दव को क्रमशः अपने प्रधान मंत्री एवं प्रधान सेनापति के रूप में नियुक्त किया था। फाहियान जो स्वयं बौद्ध था, उसकी धार्मिक सिहष्णुता की प्रशंसा करता है।

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कुमारगुप्त प्रथम के काल में बुद्ध, सूर्य, शिव आदि की उपासना को समान रूप से राज्य की ओर से प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।

नालंदा में विख्यात बौद्ध-विहार उसी के समय में स्थापित किया गया, जिसे राज्य की ओर से धन दिया गया। स्कंदगुप्त के शासन काल में पाँच जैन तीर्थंकरों की पाषाण प्रतिमाओं का निर्माण करवाया गया था। वैन्यगुप्त नामक एक परवर्ती गुप्त शासक ने, जो शैव था, वैवर्तिक संघ नामक महायान बौद्ध संस्थान को दान दिया था।

यद्यपि गुप्तयुगीन प्रजा को अपनी अच्छानुसार धर्माचरण की स्वतंत्रता प्राप्त थी, तथापि उत्तर भारत में वैष्णव धर्म अत्यधिक लोकप्रिय था। गुप्तकाल के बहुसंख्यक अभिलेखों में भगवान विष्णु के मंदिरों का उल्लेख मिलता है। विष्णु के अलावा शिव, सूर्य, नाग, यक्ष, दुर्गा, गंगा-यमुना आदि की उपासना होती थी। मंदिर इस समय उपासना के प्रमुख केन्द्र थे। गुप्तकाल के अनेक मंदिर एवं उनके अवशेष आज भी प्राप्त हैं। हिन्दू देवी देवताओं के अतिरिक्त जैन एवं बौद्ध मतानुयायी भी देश में बङी संख्या में विद्यमान थे।

इस प्रकार गुप्तयुग में विभिन्न धर्मों एवं संप्रदायों में सामंजस्य एवं मेल मिलाप का वातावरण व्याप्त था।

इस काल में अनेक विदेशियों ने हिन्दू धर्म एवं संस्कारों को अपना लिया था। जावा, सुमात्रा, बोर्नियो आदि दक्षिणी-पूर्वी एशिया के विभिन्न द्वीपों में हिन्दू धर्म का व्यापक प्रचार हो चुका था।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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