भारत एवं चीनःपुराने संबंध
1 अक्टूबर, 1949 में चीन में साम्यवादी सरकार की विधिवत् स्थापना की गयी।
गैर-साम्यवादी देशों में भारत ही एकमात्र ऐसा देश थै, जिसने 30 सितंबर, 1949 को चीन में इस नई सरकार को मान्यता दी थी।
1950 में कोरिया युद्ध के समय भारत ने चीन का साथ दिया।
25 अक्टूबर, 1950 को चीनी सेना ने तिब्बत पर खुला आक्रमण कर दिया, जिसका भारत सरकार ने विरोध किया।
पंचशील समझौता(1954ई.)
भारत-चीन युद्ध (1962ई.)
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8 सितंबर, 1962 को चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया और 20 अक्टूबर, 1962 में लगभग, 30,000 चीनी सैनिकों ने लद्दाख और असम के उत्तर में स्थित नेफा (NEFA-North East Fronties Agency ) पर भारी आक्रमण कर दिया।
1 दिसंबर, 1962 को भारतीय प्रधानमंत्री नेहरू ने चाऊ-एन-लाई को कम से कम 8 सितंबर, 1962 के पूर्व की यथास्थिति को वापस लाने का एक स्पष्ट एवं सीधा प्रस्ताव भेजा ताकि शांतिपूर्ण एवं अपेक्षित वातावरण का निर्माण किया जा सके।
कोलंबो सम्मेलन (1962ई.)
भारत-चीन विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए कुछ एशियाई और अफ्रीकी राष्ट्रों जैसे-श्रीलंका, बर्मा, कंबोडिया, हिन्देशिया, घाना और संयुक्त अरब गणराज्य सहित छः देशों का 1962 ई. में कोलंबो में 10 से 12 दिसंबर, के बीच एक सम्मेलन हुआ, जिसे कोलंबो-सम्मेलन के नाम से जाना जाता है।
यद्यपि भारत ने इस सम्मेलन में पास प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया, किन्तु चीन ने न केवल इसे मानने से इंकार कर दिया, उल्टे इन प्रस्तावों का खुला उल्लंघन करते हुए उसने भारत के लद्दाख क्षेत्र में 7 सैनिक चौकियां स्थापित कर ली। तथाकथित नियंत्रण-रेखा के समानान्तर पत्थर के ढेर जमा कर दिये। और भारतीय सीमा के पास अपनी सैनिक शक्ति का विस्तार जारी रखा।
आज भी लद्दाख का 36,000 वर्ग किमी. और अरुणाचल प्रदेश (नेफा) का 5,180 वर्ग किमी. क्षेत्र चीनीयों के कब्जे में है।
21 नवंबर, 1962 को चीन ने एकपक्षीय युद्ध-विराम की घोषणा कर दी।
चीन ने सन् 1964 को अपना प्रथम आणविक विस्फोट किया, जिससे भारत में बेचैनी की लहर फैल गयी। इसने भारत की सारी प्राथमिकताएं बदल दी।
Reference : https://www.indiaolddays.com/