पंचशील सिद्धांत (1954) का प्रतिपादन किसने किया
चीन और भारत दोनों देशों के बीच नई दिल्ली में 29 अप्रैल, 1954 को तिब्बत को लेकर एक समझौता हुआ, जोकि पंचशील-समझौता के नाम से ही जाना जाता है।इस समय भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे।
पंचशील का आशय
आचरण के पाँच सिद्धांत।
ये सिद्धांत निम्नलिखित हैं-
- एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और सर्वोच्च सत्ता के लिये पारस्परिक सम्मान की भावना।
- अनाक्रमण की भावना।
- एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
- समानता एवं पारस्परिक लाभ।
- शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना का विकास।
पंचशील समझौते के अनुसार भारत ने अंग्रेजों से विरासत में प्राप्त उन सभी विशेषाधिकारों का परित्याग कर दिया, जो अब तक उसे तिब्बत में प्राप्त थे।
तिब्बत के प्रति अंग्रेजों की नीति क्या थी
ये विशेषाधिकार थे-ल्हासा में एक एजेन्ट,ग्यान्त्से एवं यातुंग में व्यापारिक एजेन्सियां तथा ग्यान्त्से जाने वाले व्यापारिक मार्ग पर डाक एवं तारघर तथा उसकी सुरक्षा के लिए एक छोटा संरक्षक सैनिक दल रखना शामिल था।
28 जून, 1954 को चीन के प्रधानमंत्री चाऊ-एन-लाई तथा भारत के प्रधानमंत्री नेहरू ने पंचशील में अपने विश्वास को दोहराया।
इस मैत्री संबंध में छिद्र तब प्रकट हुआ, जब जुलाई 1958 में चीन ने ऐसे मानचित्र प्रकाशित किये, जिसमें लद्दाख से लेकर असम-सीमा तक हिमालय प्रदेश के 13,2090 वर्ग किमी. भारतीय भू-भाग को चीन राज्य के भू-भाग के रूप में दर्शाया।
1959 में संकटकाल तब आया, जब तिब्बतियों ने चीन के विरुद्ध खुला विद्रोह कर दिया, फलस्वरूप चीन ने तिब्बत को रौंद डाला और वहाँ वास्तव में आतंक का राज्य लागू किया।
चीन ने इस घटना के लिए भारत को दोषी ठहरायाऔर 1959 में ही चीन ने हिमालय के भारतीय क्षेत्रों पर चढाई कर दी। भारतीयों ने कङा प्रतिवाद एवं समझौता दोनों का प्रयास किया, किन्तु इसके बावजूद चीन ने भारत के लगभग 31,000 वर्ग किमी. क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
Reference : https://www.indiaolddays.com/