भारत में मुगलकालीन प्रसिद्ध महिलाएँ

अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-
- भारत में मनसबदारी व्यवस्था का प्रारंभ अकबर ने किया था
- मुगल कालीन राजस्व सिद्धांत-
- कृष्ण देवराय किसके समकालीन था
गुलबदन बेगम- हुमायूँनामा की रचना की। वह अरबी और फारसी की प्रकाण्ड विदुषी थी।
माहम अनगा- अकबर की धाय माँ माहम अनगा 1560-62ई. तक पर्दा-शासन या पेटीकोट सरकार को चलाया। इसने हुमायूँ के साथ मिलकर दिल्ली में मदरसा -ए-बेगम की स्थापना की।
नूरजहाँ- जहाँगीर की पत्नी, जुंतागुट का नेतृत्व किया, शासनकार्य में बराबर का हिस्सा लिया।इसने अनेक श्रृंगार -प्रसाधनों एवं जेवरातों में सुरुचिपूर्ण परिवर्तन किया।
मुमताज महल- शाहजहाँ की प्रिय पत्नी । यह भी श्रृंगार – प्रसाधनों और जेवरातों की बङी विशेषज्ञ थी।
जहाँआरा-शाहजहाँ की बङी पुत्री, बङी ही धार्मिक एवं सात्विक विचारधारा की महिला, उत्तराधिकार के युद्ध में दारा का पक्ष लिया। सूफी मत के कादिरी सिलसिले से प्रभावित, शाहजहाँ के बंदी समय में यह शाहजहाँ के साथ रही।
जेबुन्निसा- औरंगजेब की पुत्री, विद्रोही शहजादा अकबर के पत्र व्यवहार करने के कारण औरंगजेब ने 1679ई. में निर्वासित कर दिल्ली भेज दिया। यहीं पर उसने बैतुल-उल-उलूम नामक पुस्तकालय की स्थापना की।
अस्मत बेगम – इत्र बनाने की विधि का आविष्कार किया। यह नूरजहाँ की माँ थी।
Reference : https://www.indiaolddays.com/