इतिहासराजस्थान का इतिहास

केसरीसिंह बारहठ का परिचय

केसरीसिंह बारहठ (1872-1940ई.) – केसरीसिंह बारहठ का जन्म 1872 ई. में शाहपुरा (भीलवाङा) के निकट अपनी पैतृक जागीर के गाँव देवपुरा में हुआ था। युवावस्था में वे उदयपुर के महाराणा के पास चले आये, किन्तु शाहपुरा के शासक और उदयपुर के महाराणा में कुछ मतभेद हो जाने के कारण उन्हें उदयपुर छोङना पङा। 1899 ई. में जोधपुर और तत्पश्चात् कोटा चले गये। इसी बीच उनका श्यामजी कृष्ण वर्मा, रासबिहारी बोस व अन्य क्रांतिकारियों से संपर्क हुआ। उन्होंने कोटा में क्रांतिकारियों का एक दल संगठित किया, जिसमें डॉ. गुरुदत्त, लक्ष्मीनारायण और हीरालाल लहरी जैसे सदस्य थे। कहा जाता है कि वे बंगाल की भाँति राजस्थान में भी गुप्त समितियाँ गठित करना चाहते थे जिसके लिये धन की आश्यकता थी। अतः जोधपुर के रामस्नेही महंत प्यारेलाल की कोटा में 25 जून, 1912 ई. को हत्या कर दी। इस हत्याकांड के संबंध में पुलिस किसी को नहीं पकङ सकी, केवल संदेह के आधार पर केसरीसिंह, हीरालाल लहरी, रामकरण और हीरालाल जालौरी को बंदी बनाया गया। यद्यपि अभियोग पक्ष इनके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं जुटा पाया, तथा महंत के मृत शरीर की पहचान भी नहीं हो सकी, फिर भी न्याय का नाटकर कर केसरीसिंह, हीरालाल लहरी और रामकरण को 20-20 वर्ष का कारावास तथा हीरालाल जालौरी को 7 वर्ष के कारावास की सजा दी गयी। उनकी संपत्ति और जागीर भी जब्त कर ली गयी। पाँच वर्ष बाद ही उन्हें रिहा कर दिया गया। केसरीसिंह महात्मा गाँधी के बङे प्रशंसक बन गये थे और अपना शेष जीवन गाँधीजी की सेवा में बिताने की इच्छा प्रकट की। गाँधीजी ने इसकी स्वीकृति भी दे दी, किन्तु इसी बीच वे बीमार रहने लगे और 1940 ई. में उनका देहांत हो गया।

केसरीसिंह बारहठ

केसरीसिंह बारहठ ने अपने पुत्र प्रतापसिंह को बनारस पढने के लिये भेजा, जहाँ उसका संपर्क रासबिहारी बोस और सचीन्द्र सान्याल से हुआ और प्रतापसिंह भी क्रांतिकारी बन गया। प्रतापसिंह ने भारत सरकार के गृह सदस्य रेगीनॉल्ड क्रेडरीक की बनारस में हत्या करने की योजना बनायी, किन्तु भेद खुल जाने पर प्रतापसिंह के नाम गिरफ्तारी का वारंट जारी हो गया। प्रतापसिंह भाग कर हैदराबाद (सिंध) गया और एक अस्पताल में कम्पाउण्डर बन गया। कुछ समय बाद जब वह पुनः राजस्थान लौट रहा था, कि जोधपुर के निकट आसारानाङा रेल्वे स्टेशन पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसे पाँच वर्ष के कारावास की सजा देकर (1917 ई.) मेरठ जेल में रखा गया, जहाँ उसे घोर शारीरिक यातनाएँ दी गयी। फलस्वरूप जेल में ही उसकी मृत्यु हो गयी।

References :
1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास

Online References
विकिपीडिया – केसरीसिंह बारहठ

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