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पुनर्जागरण का केन्द्र इटली ही क्यों बना?

पुनर्जागरण का केन्द्र इटली

पुनर्जागरण का केन्द्र इटली (italy center of renaissance) इटली का एकीकरण, इटली में फासीवाद क्या था

इटली से ही पुनर्जागरण के प्रारंभ होने के कारण निम्नलिखित हैं-

(punarjaagaran ka kendr italee)

प्राचीन रोमन सभ्यता का केन्द्र – रोम में प्राचीन रोमन सभ्यता के अवशेष विद्यमान थे। लेटिन भाषा का साहित्य रोम के गिरजाघरों में तिरस्कृत रूप में दबा पङा था। प्राचीन भवन एवं स्मारकों के अवशेष खंडहर के रूप में जीवित थे। इटली के लोग एवं इटालियन भाषा प्राचीन रोमन सभ्यता के अधिक निकट थी। अतः यूरोप के बुद्धिवादी इटली की यात्रा करने लगे और वहां से प्रेरित होकर अपने प्रदेश की प्रगति हेतु प्रयत्नों में जुट गए।

व्यापारिक समृद्धि एवं विदेश व्यापार का केन्द्र – अरब और एशिया के व्यापारी, भूमध्यसागर तट पर इटली की अनुकूल भौगोलिक स्थिति के कारण यहां व्यापार हेतु आते रहे। यूरोप के देशों का व्यापार इटली के माध्यम से ही होता था। इटली में समृद्ध लोगों की संख्या अधिक थी। मिलान, नेपल्स, फ्लोरेन्स और वेनिस नगर व्यापार के कारण ही समृद्ध थे। इटली की इस समृद्धि से मध्यम वर्ग का उदय हुआ। धनी व्यापारी प्रचलित धार्मिक नियंत्रणों की उपेक्षा करने लगे। अतः पूर्व की प्रगतिशील विचारधारा के संपर्क ने इटली से ही पुनर्जागरण की नव जागृति का प्रारंभ किया।

प्राचीन यूनानी संस्कृति से संपर्क – पूर्वी जगत के व्यापारी, इटली में अल्पकालीन प्रवास करते थे। इटली के व्यापारी दल भी एशिया के विभिन्न देशों में जाते रहते थे। एशिया के लोगों के रहन-सहन, खानपान, धर्म, सभ्यता एवं संस्कृति की समृद्धता ने उन्हें आकर्षित किया। यूरोप में प्रचलित अज्ञान व धार्मिक रूढिवाद की तुलना समृद्ध पूर्व से किया जाना स्वाभाविक था, अतः इटली से ही पुनर्जागृति संभव हुई।

इटली में नगरों का विकास – व्यापार के निरंतर विकास ने जीविकोपार्जन हेतु यूरोप के विभिन्न देशों के लोगों को इटली में प्रवास के लिए बाध्य किया, जिससे इटली में नगरों का विकास हुआ। इन नगरों की बसावट, सङकें, भवन, प्रशासन, रहन-सहन, खानपान आदि उच्च कोटि के थे। इटली के नगरों की समृद्धि ने यूरोप के जनमानस में पुनर्जागरण की नवीन प्रवृत्ति का संचार किया।

इटली में शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन – इटली में व्यापार एवं निरंतर आर्थिक समृद्धि ने शिक्षा के स्वरूप में भारी परिवर्तन को स्वीकार किया। धर्मनियंत्रित रूढिवादी शिक्षण केन्द्र चर्च द्वारा संकीर्ण एवं प्रतिबंधित शिक्षा दी जाती थी। इस परिवर्तन के स्वरूप अब इटली में भौगोलिक एवं व्यावसायिक शिक्षा दी जाने लगी। शिक्षा में तर्क, विज्ञान एवं मानवोपयोगी विषयों का समावेश होने लगा जो कि पुनर्जागरण का प्रमुख आधार बना।

इन सभी कारणों से ही इटली यूरोप में पुनर्जागरण की नवीन विचार शैली के प्रसार का अग्रदूत बना। धर्म निरपेक्ष, बुद्धिवादी चिन्तन ने कला एवं साहित्य सृजन में धर्म के स्थान पर मौलिक विषयों का समावेश किया। प्राचीन रोमन और यूनानी पाण्डुलिपियों के मौलिक अध्ययन से सत्य के साथ साक्षात्कार होने लगा तथा लोकभाषाओं के प्रति रूचि बढी। मानवीय विषयों को कला और साहित्य में स्थान मिलने लगा। पेट्रार्क बुकासियो एवं मैकियावेली इटली के ही विद्वान थे।

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