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पुनर्जागरण के परिणाम (Results of Renaissance)

पुनर्जागरण के परिणाम

पुनर्जागरण के परिणाम (punarjaagaran ke parinaam)

पुनर्जागरण के परिणाम निम्नलिखित थे-

मानववाद

पुनर्जागरण का प्रमुख परिणाम मानव की स्वयं के प्रति जागृति है। पैट्रार्क को मानववाद का पिता माना जाता है। मानववादी चिन्तकों ने धर्मशास्त्रों के वैराग्य और आध्यात्म को तिलांजलि देकर सौन्दर्य, माधुर्य, मानव प्रेम और भौतिक सुखों को जीवन का सार स्वीकार किया। समाज की विभिन्न प्रकार की समस्याओं पर मैकियावली, दोनातेलो, दांते और अलबर्टी जैसे चिन्तकों ने अपने लेखन के माध्यम से प्रहार किया।

धर्मजनित रूढिवादी, स्वर्ग की कोरी कल्पना ने मानव की विधाओं को स्वीकार किया, साथ ही नारी सौन्दर्य, प्रेम-घृणा, दाम्पत्य जीवन जैसी विषय वस्तु को भी अपने सृजन में स्थान दिया। मानव मात्र की स्वतंत्रता, समानता, इहलोक और राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना को जागृत किया। विश्व विद्यालयों में भी मानववाद की शिक्षा दी जाने लगी।

कला

मानववादी चिन्तन के प्रसार से पुनर्जागरण कालीन कला के क्षेत्र में महान परिवर्तन हुआ। स्थापत्य के क्षेत्र में प्राचीन रोमन एवं यूनानी कला शैली में समन्वय स्थापित हुआ। कला का स्वरूप धर्म के स्थान पर व्यक्तिवादी हुआ। फिलिपो ब्रूनेलेस्की फ्लोरेन्स निवासी, इटली का प्रमुख स्थापत्यकार था, जिसने भवन निर्माण में स्तंभों और मेहराबों में सजावट एवं विशालता को स्थान दिया।

रोम का सेन्ट पीटर्स बर्ग चर्च और फ्लोरेन्स का मेडिसीचर्च इसी शैली के प्रतीक हैं। दोनातेलो इटली का प्रमुख मूर्तिकार था, जिसने मानव मूर्ति का निर्माण किया। माइकल एंजिलो (1475-1565ई.) भी प्रसिद्ध मूर्तिकार था जिसने फ्लोरेन्स के गिरजाघरों में अनेक मूर्तियां बनाई।

गिबर्टी ने फ्लोरेन्स के गिरजाघर का सुन्दर द्वार बनाया जिसे ऐंजिलो ने स्वर्ग में रखे जाने योग्य कहा। जॉन बुल, विलियम बर्ड, पेलेस्त्रिना आदि इस काल के प्रसिद्ध संगीतज्ञ हुए, जिन्होंने अनेक वाद्य यंत्रों एवं राग शैलियों का विकास किया। माजासिओ एंजेलिको, लियोनार्डो द. विन्सी (1452-1519 ई.) और रेफेल (1483-1520ई.) इस युग के प्रसिद्ध चित्रकार हुए, जिन्होंने चित्रकला के क्षेत्र में मानववादी एवं यथार्थवादी दृष्टिकोण को अपनाया। लियानार्डो द विन्सी का मोनालिसा (पेरिस) और लास्ट सपर (मिलान) अत्यंत प्रसिद्ध है। नारी मुख पर रहस्यमयी मुस्कान, भाव भंगिमा, परिधान का सौन्दर्य एवं प्राकृतिक पृष्ठभूमि मोनालिसा की प्रमुख विशेषताएं हैं।

इसी प्रकार लास्ट सपर नामक चित्र में ईसामसीह का अंतिम भोज प्रदर्शित किया गया है, जिसमें ईसा के मुखमंडल पर शांत एवं गंभीर भाव, जबकि शिष्यों को हतप्रभ सा दिखाया गया है। रंगों का चयन, प्रकाश और छाया और शारीरिक अंगों का सुन्दर अंकन विन्सी के चित्रों की विशेषताएं हैं।

माइकेल एंजिलो का सिस्टाइन चैपेल वेटिकन में पोप के महल के 6 हजार वर्ग फीट छत का सुन्दर चित्रांकन था जिसमें 145 चित्रों का निर्माण किया। इसके भित्तिचित्रों में द लास्ट जजमेंट नामक चित्र भी कलात्मक दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ स्वीकार्य है। ऐंजिलो के चित्रों की विशेषता, गतिमान स्थिति में मानव शरीर का नैसर्गिक एवं जीवन्त चित्रण करना है। ऐंजिलो एक कवि, स्थापत्यकार और मूर्तिकार भी था।

रेफेल का प्रसिद्ध चित्र सिस्टम इन मैडोना है। इसमें ईसा की माता मेडोना के दिव्य नारीत्व का चित्रांकन आकर्षक एवं मोहनीय है। मातृत्व का ह्रदय स्पर्शी सौन्दर्य एवं वात्सल्य रूप रेफेल के चित्रों की विशेषता है।

इस प्रकार स्थापत्य के पुनर्जागरण कालीन प्रतीकों में पेरिस का लूब्रे प्रासाद लंदन का सेन्टपॉल का गिरजाघर, स्पेन का एस्कोरियल प्रासाद आदि अद्वितीय है। मूर्तिकला में गिबर्टी का फ्लोरेन्स के गिरजाघर का दरवाजा, दोनातेलो की सेन्ट मार्क की आदमकद मूर्ति, ऐंजिलो की वीर पुरुष रूप में डेविड की मूर्ति, 16 फुट ऊंची पेता की मूर्ति आदि प्रसिद्ध है।

साहित्य

लेटिन और यूनानी भाषाओं के प्राचीन साहित्य के साथ पुनर्जागरण काल में स्थानीय भाषाओं में साहित्य का सृजन होने लगा। मानवीय विषयों को साहित्य सृजन का आधार बनाया जाने लगा, जो मध्यकाल में प्रतिबंधित था। इटली के प्रमुख साहित्यकार दांते (1265-1321ई.) एवं पैट्रार्क (1304-1374ई.) थे। डिवाइन कॉमेडी दांते की महत्त्वपूर्ण रचना है।

पैट्रार्क ने प्राचीन यूनानी व रोमन साहित्य की विशेषताओं को लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया। मानववादी साहित्य सृजक पैट्रार्क को मानववाद का पिता कहा गया है। बोकासिओ का 100 कहानियों का संकलन डैकेमरोन प्रसिद्ध है, जिसमें उसने सामाजिक कुरीतियों का पर्दाफाश किया।

फ्रांसीसी साहित्यकारों में रेबेला (1494-1553ई.) और मॉनेटेन (1533-1592ई.) प्रसिद्ध थे। रेबेला की कृति हीरोइक डीड्स ऑफ गारगन्तुआ एण्ड पेन्टागल प्रमुख है। रेबेला ने धर्मनिरपेक्ष एवं मानव के भौतिक जीवन के आनंदमय पक्ष को विषय वस्तु बनाया। मोन्टेन के निबंधों में मनुष्य के जीवन की व्यावहारिक समस्याओं व उनके निराकरण के प्रति विवेकशील चिन्तन प्रकट होता है।

अंग्रेजी भाषा के विद्वान चौसर की कृति केन्टरबरी टेल्स प्रसिद्ध है। वह अंग्रेजी काव्य का जनक कहा जाता है। सर टॉमस मूर की कृति यूटोपिया में उसने समाज में व्याप्त दोषों का निरूपण कर आदर्श समाज व राज्य की कल्पना की है। स्पेन्सर की फेयरीक्वीन भी मानवीय आदर्शों को स्थापित करने वाली है। शेक्सपीयर (1564-1616ई.) अंग्रेजी का स्थापित कवि एवं नाटक लेखक था।

मर्चेन्ट ऑफ वेनिस, रोमियो जूलियट, हैमलेट, मैकबेथ उसके प्रसिद्ध नाटक हैं। शेक्सपीयर की रचनायें मनुष्य के भौतिक जीवन की सहज व स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। इसी तरह स्पेन के सर्वान्टीज की कृति डानकियोते समकालीन सामाजिक स्थिति पर व्यंग्यात्मक रचना है।

डच साहित्यकारों में इरैस्मस मानववादी रचनाकार था। इन प्रेज ऑफ फॉली उसकी प्रसिद्ध कृति है जिसमें चर्च के धर्माधिकारियों का उसने उपहास उङाने की हिम्मत की। उसने समाज में व्याप्त रूढिवादी प्रथाओं, अज्ञान और अंधविश्वासों के विरुद्ध अपनी लेखनी का भरपूर उपयोग किया।

भौगोलिक अन्वेषण

दिशा सूचक यंत्र की उपलब्धता ने यूरोप के साहसी नाविकों को संपूर्ण विश्व के चारों ओर चक्कर लगाने को प्रेरित किया। समुद्र की चाल का अध्ययन किया गया। जल मार्गों की खोज हुई। जहाजों का निर्माण हुआ। मार्कोपोलो ने इटली से चीन की यात्रा की। हेनरी व डाईज ने अफ्रीका के दक्षिणी समुद्री तट खोजे। मार्कोपोलो कहाँ का निवासी था

कोलंबस ने नई दुनिया अमेरिका को और वास्कोडिगामा ने भारतीय उपमहाद्वीप के समुद्री मार्ग को ढूंढ निकाला। इसी तरह मेगलेन ने दक्षिण अमेरिका और फिलीपिन्स द्वीप समूह खोजने में सफलता प्राप्त की। भौगोलिक खोजों के कारण ही यूरोप शेष विश्व पर अपनी प्रभुता स्थापित कर सका। उपनिवेश स्थापना और व्यापार-वाणिज्य हेतु यूरोप के देश परस्पर प्रतियोगिता करने लगे। ईसाई धर्म विश्वव्यापी हो पाया।

कृषि क्षेत्र व पृथ्वी के पूर्ण ज्ञान के क्षेत्र में मानव ने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की। भौगोलिक अन्वेषणों के कारण दास व्यापार का जन्म हुआ। विश्व के अनेक देशों को औपनिवेशिक शोषण का शिकार होना पङा, प्रशांत महासागर की शांति भंग हुई और यह विश्व में नवीन सभ्यता का वाहक बना।

वैज्ञानिक आविष्कार

मानववाद के विकास एवं धर्म के प्रतिबंध से मुक्ति ने मनुष्य को स्वतंत्र चिन्तन की ओर प्रेरित किया। नवीन दृष्टिकोण के उदय से मानव मन में प्रकृति के रहस्य जानने की जिज्ञासा का जन्म हुआ। तर्क शक्ति के विकास ने स्वच्छन्द चिन्तन की अन्तर्निहित मानवीय प्रतिभा को उजागर किया।

16 वीं शताब्दी से तो यूरोप में वैज्ञानिक क्रांति के युग का प्रारंभ हुआ। पौलेण्ड के वैज्ञानिक कॉपरनिकस ने सिद्ध किया कि पृथ्वी एक ग्रह है जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। इटली के ब्रूनों ने कॉपरनिकस के अन्वेषण की पुष्टि की जिसे पोप ने जिन्दा जलवा दिया। जर्मनी खगोलविज्ञ जान केपलर (1571-1630ई.) ने अपनी गणितीय गणना के आधार पर कॉपरनिकस के सिद्धांत की सत्यता को सिद्ध किया और बताया कि पृथ्वी दीर्घ वृत्ताकार कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करती है।

दूरबीन का आविष्कार इटली के गैलीलियो (1564-1642ई.) ने किया और यह भी सिद्ध किया कि गिरते हुए पिण्डों की गति, भार के बजाय दूरी पर निर्भर करती है। रोजर बेकन ने सूक्ष्मदर्शी यंत्र बनाया। फ्रेन्च देकार्ते ने बीजगणित के रेखागणित में प्रयोग सिखाये।

स्टेविन ने दशमलव पद्धति और नेपियर ने प्रतिफलन पद्धति की खोज की। वेसेलियम (1514-1564ई.) ने मानव शरीर की रचना नामक पुस्तक लिखी जिसमें शल्य क्रिया का भी उल्लेख किया। इंग्लैण्ड के विलियम हार्वे (1578-1657ई.) ने प्रतिफलन पद्धति की खोज की। वेसेलियम (1514-1564ई.) ने मानव शरीर की रचना नामक पुस्तक लिखी जिसमें शल्य क्रिया का भी उल्लेख किया।

इंग्लैण्ड के विलियम हार्वे (1578-1657ई.) ने मानव शरीर में रक्त प्रवाह को प्रमाणित कर मानव चिकित्सा विज्ञान में मदद की। इंग्लैण्ड के आइजक न्यूटन के गुरूत्वाकर्षण सिद्धांत ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि की। उसने यह प्रमाणित किया कि संपूर्ण विश्व का संचलन प्रकृति के सुव्यवस्थित अनुशासन से होता है न कि देवकृपा से। खनिज विज्ञान, धातु विज्ञान, रसायन विज्ञान के क्षेत्रों में पुनर्जागरण काल में अद्भुत उन्नति हुई जिससे विश्व में विज्ञान व तकनीकी युग का प्रारंभ हुआ।

पुनर्जागरण का महत्त्व

पुनर्जागरण का मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अद्भुत प्रभाव हुआ। पुनर्जागरण जनित बौद्धिक जागृति ने राजनीतिक क्षेत्र में निरंकुश एवं दैवीय राजतंत्र के स्थान पर राष्ट्रीयता की विचारधारा का विकास किया। समाज का जीवन स्तर उच्च बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आर्थिक क्षेत्र में वाणिज्यवाद एवं औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात किया। अधिक सोना, अधिक वैभव एवं अधिक शक्ति की विचारधारा ने समाज के स्वरूप को ही बदल दिया। सांस्कृतिक क्षेत्र में मानव को स्वतंत्र चिंतन का अवसर दिया। संपूर्ण विश्व के मानव परस्पर निकट आये। शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई। बंधन मुक्त नवीन पाठ्यक्रम युक्त शिक्षण संस्थाएं प्राथमिक से विश्वविद्यालय स्तर तक स्थापित हुई।

पुनर्जागरण का नकारात्मक पक्ष भी शीघ्र सामने आया। नैतिकता, सादगी, सरलता के अर्थ और मूल्य ही बदल गए। मानव के जीवन पर भौतिकता का प्रभाव बढता गया। सात्विकता एवं आध्यात्मिकता के जीवन मूल्यों का स्थान धनार्जन की वणिक प्रवृत्ति और भौतिक संसाधनों के प्रति आकर्षण ने ले लिया, जिसका विकृत स्वरूप यूरोप से चलकर संपूर्ण विश्व मानवता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। फिर भी पुनर्जागरण ने मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को पूर्णतः प्रभावित किया है जो निम्न बिन्दुओं में दिखता है-

  • वाणिज्यवाद जनित औद्योगिक क्रांति ने प्रकृति का पूर्ण दोहन कर मनुष्य को कृषि से अधिक उद्योग पर निर्भर बना दिया।
  • सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में आये परिवर्तनों ने नगरीय जीवन एवं पूंजीवाद का प्रसार किया।
  • साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
  • पुनर्जागरण प्रभावित कला में यथार्थ वादी, व्यक्तिवादी एवं लौकिक विषयों को प्रोत्साहन मिला।
  • विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों ने मानव इतिहास को ही बदल दिया।
  • पुनर्जागरण ने राष्ट्रीय भावना के उदय में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
  • तर्कवाद के जन्म से वर्षों से ठगी जाती रही मानव जाति को राहत मिली।
  • पुनर्जागरण के बाद का विश्व उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद में परिणत होता चला गया।
  • पुनर्जागरण की बौद्धिक विचारधारा ने जहां प्रारंभिक काल में मानववादी चिन्तन से मनुष्य को स्वयं के प्रति जागरुक बनाया वहीं इसके नकारात्मक बहाव ने उसे अति भौतिकवादी और यंत्रवत भी बना दिया है।

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