इतिहासराजस्थान का इतिहास

प्रजा मंडलों की स्थापना कैसे हुई

प्रजा मंडलों की स्थापना – प्रजामण्डल भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय रियासतों की जनता के संगठन थे। 1920 के दशक में प्रजामण्डलों की स्थापना तेजी से हुई। प्रजामण्डल का अर्थ है ‘जनता का समूह’

राजस्थान में देशी राज्य लोक परिषद की स्थापना

राजस्थान में राजनैतिक गतिविधियों के संचालन हेतु सर्वप्रथम जोधपुर में 1934 ई. में मारवाङ प्रजा मंडल की स्थापना की गयी। तत्पश्चात 1938 ई. में कोटा राज्य प्रजा मंडल की स्थापना की गयी। जयपुर में यद्यपि 1931 ई. में श्री कपूरचंद पाटनी ने प्रजा मंडल की स्थापना कर दी थी, किन्तु इस प्रजा मंडल ने राजनैतिक क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया तथा उसे आवश्यक जनसहयोग भी नहीं मिला। अतः यह संस्था निर्जीव सी ही रही। 1936-37 ई. में सेठ जमनालाल बजाज की प्रेरणा और पंडित हीरालाल शास्री के प्रयत्नों से जयपुर राज्य प्रजा मंडल का पुनर्गठन किया गया। 1938 ई. में ही मेवाङ प्रजा मंडल (उदयपुर) और अलवर राज्य मंडल की स्थापना हुई। 1939 ई. में भरतपुर राज्य प्रजा मंडल और 1940 ई. में जैसलमेर प्रजा मंडल स्थापित हुए। अन्य राज्यों के शासकों की दमनकारी प्रतिक्रियावादी नीति के कारण देशी राज्य लोक परिषद अपनी शाखाएँ (प्रजा मंडल) स्थापित नहीं कर सकी। अतः ऐसे राज्यों की शाखाएँ इन राज्यों के बाहर स्थापित हो गयी। 1933 ई. में सिरोही लोक परिषद की स्थापना बंबई में तथा 1936 ई. में बीकानेर लोक परिषद की स्थापना कलकत्ता में की गयी। विभिन्न राज्यों में देशी राज्य लोक परिषद की इन शाखाओं ने ही जन आंदोलन संचालित किया था।

References :
1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास

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