इतिहासप्राचीन भारतवाकाटक वंश

पृथ्वीषेण द्वितीय का इतिहास

वाकाटक शासक नरेन्द्रसेन के बाद उसका पुत्र पृथ्वीषेण द्वितीय (460-480 ईस्वी) वाकाटक वंश की प्रधान शाखा का राजा बना। उसके बालाघाट लेख में उसे महाराज कहा गया है, जिससे स्पष्ट होता है, कि वह वैष्णव था। इसी लेख से पता चलता है, कि उसके दो बार वाकाटक वंश की विलुप्त लक्ष्मी का पुनरुद्धार किया था।

परंतु उसने अपने किन शत्रुओं को पराजित किया, यह जानकारी हमारे पास नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है, कि उसने नल तथा त्रैकुटक (दक्षिणी गुजरात) वंशी राजाओं के विरुद्ध सफलता प्राप्त की तथा उसके आक्रमणों से अपने राज्य को बचाया था। पृथ्वीषेण द्वितीय वाकाटकों की प्रधान शाखा का अंतिम शासक था।

उसके बाद उसका राज्य बासीम शाखा के हरिषेण के हाथों में चला गया।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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