आधुनिक भारतइतिहासभारतीय अधिनियम

1786,1793 का (चार्टर एक्ट) अधिनियम

पिट ने 1786 का अधिनियम पारित करवाया। जिसका प्रमुख उद्देश्य कार्नवालिस को भारत के गवर्नर जनरल के पद के लिए तैयार करना था। इस अधिनियम के तहत मुख्य सेनापति की शक्तियां भी गवर्नर जनरल में निहित कर दी गयी।

गवर्नर जनरल विशेष अवस्था में परिषद के निर्णयों को रद्द कर सकता था। निर्णयों को लागू भी कर सकता था।

1793 का चार्टर एक्ट

1793 में एक चार्टर एक्ट पारित किया गया, जिसके द्वारा कंपनी के व्यापारिक अधिकारों को 20 वर्ष के लिए बढा दिया गया।

गवर्नर-जनरल का बंबई तथा मद्रास प्रेसीडेन्सियों पर अधिकार स्पष्ट कर दिये गये।

यदि गवर्नर जनरल बंगाल के बाहर जाता था, तो उसे अपनी परिषद के असैनिक सदस्य में से किसी एक को उपप्रधान नियुक्त करना होता था।

मुख्य सेनापति को गवर्नर जनरल की परिषद् का स्वतः ही सदस्य होने का अधिकार समाप्त हो गया। इन सभी सदस्यों का वेतन भारतीय कोष से मिलता था, जो 1919 तक जारी रहा।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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