इतिहासराजस्थान का इतिहास

बीकानेर चित्रकला शैली का इतिहास

बीकानेर चित्रकला शैली – बीकानेर का राजघराना, मारवाङ के राजघराने से संबंधित होने के कारण बीकानेर की शैली, मारवाङ चित्र शैली से काफी साम्यता रखती है। राजा रायसिंह (1574-1612 ई.) के काल से बीकानेर की चित्रकला पर मुगल शैली का प्रभाव दिखाई देने लगता है। समकालीन विषयों के अनुरूप यहाँ भी भागवत पुराण केशव की रसिक प्रिया और रागिनी के चित्र उपलब्ध होते हैं।

बीकानेर चित्रकला शैली

1600 ई. के आस-पास चित्रित रसिक प्रिया मुगल शैली के सामंजस्य का श्रेष्ठ उदाहरण है। मकान का स्पष्ट अंकन, अर्द्ध-चंद्र और तारों का चित्रण आदि भारतीयों के कल्पना सिद्धांत के विपरीत प्रतीत होता है, जबकि गहरे लाल, नीले और हरे रंगों का प्रयोग मेवाङी शैली के अनुरूप है। इसी चित्र में घास के उगे गुच्छों का चित्रण मुगल शैली के आधार पर हुआ है। यह शैली उत्तरोत्तर विकसित होते – होते महाराजा अनूपसिंह (1669-1698 ई.) के काल में यह चरमोत्कर्ष पर पहुँच गयी। 17 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में अनेक मुस्लिम चित्रकार बीकानेर में आकर बस गये थे, जो मारवाङी शैली और मुगल शैली में सामंजस्य स्थापित करने में दक्ष थे। इस काल के बने अनेक चित्रों में दरबार के चित्र विशेष उल्लेखनीय हैं, जिनमें दरबारी अनुशासन एवं औपचारिकताएँ मुगलों के समान प्रदर्शित की गयी हैं। 18 वीं शताब्दी में बीकानेर कलम पर जोधपुर कलम का प्रभाव अधिक दिखायी देता है। बीकानेर दुर्ग के महलों के भीतरी भागों की दीवारों पर शिकार के दृश्य, हरम की स्रियों के जीवन की झाँकी और पुराणों आदि का चित्रण इसका श्रेष्ठ उदाहरण है। पंजाब की सीमा से लगा राज्य होने के कारण कुछ पंजाबी शैली का प्रभाव भी दिखाई देता है। ब्रिटिश प्रभाव स्थापित होने के बाद बीकानेर की मौलिक शैली का हास होने लगा। राज्याश्रय के अभाव में बीकानेर के चित्रकारों को व्यावसायिक चित्रकला की ओर उन्मुख होना पङा, जिससे 19 वीं शताब्दी के अंत में बीकानेर शैली की आत्मा मृतप्राय हो गयी।

References :
1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास
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विकिपिडिया : बीकानेर चित्रकला शैली

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