इतिहासराजस्थान का इतिहास

मत्स्य संघ का वृहत राजस्थान में विलय कब हुआ

मत्स्य संघ का वृहत राजस्थान में विलय – मत्स्य संघ के निर्माण के समय मत्स्य संघ में सम्मिलित होने वाले चारों राज्यों के शासकों को यह स्पष्ट कर दिया गया था कि भविष्य में यह संघ, राजस्थान अथवा उत्तर प्रदेश में विलीन किया जा सकता है। वस्तुतः जिस समय वृहत राजस्थान अथवा उत्तर प्रदेश में विलीन किया जा सकता है। वस्तुतः जिस समय वृहत राजस्थान के निर्माण हेतु वार्ता चल रही थी, उसी दौरान मत्स्य संघ में सम्मिलित शासकों और जन नेताओं के साथ मत्स्य संघ के भविष्य के बारे में भी बातचीत चल रही थी। 13 फरवरी, 1949 ई. को दिल्ली में मत्स्य संघ में सम्मिलित शासकों, संघ के मंत्रियों और भारत सरकार के उच्च पदाधिकारियों के बीच एक लंबी बातचीत हुई। इस वार्ता से भारत सरकार से पता चला कि अलवर और करौली तो वृहत राजस्थान के सात एकीकृत होने को तैयार हैं, किन्तु भरतपुर और धौलपुर की स्थिति स्पष्ट नहीं है, क्योंकि कुछ प्रतिनिधि तो इन दोनों राज्यों के वृहत राजस्थान में विलय के लिये तैयार थे, जबकि कुछ प्रतिनिधि भाषाई समानता के आधार पर उत्तर प्रदेश में मिलना चाहते थे। कुछ दिनों बाद भरतपुर ब्रिजेन्द्रसिंह ने तो वृहत राजस्थान में मिलने की स्वीकृति दे दी, किन्तु धौलपुर के महाराजा उदयभान सिंह का कहना था कि यदि जनता का बहुमत उत्तर प्रदेश के साथ विलीनीकरण चाहता है तो, धौलपुर को उत्तर प्रदेश के साथ मिला दिया जाय। ऐसी परिस्थिति में भरतपुर और धौलपुर रियासतों की जनता की राय जानने के लिये भारत सरकार के गृहमंत्री सरदार पटेल ने डॉ. शंकरराव देव की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। इस समिति के अन्य दो सदस्य श्री आर.के.सिद्धावा और श्री प्रभूदयाल थे। समिति के सदनों ने दोनों राज्यों का दौरा किया तथा विभिन्न विचारधारा के लोगों, समुदायों और स्थानीय नेताओं से बातचीत कर भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट दे दी। समिति ने स्पष्ट रूप से अपनी राय दी कि उक्त दोनों रियासतों की अधिकांश जनता वृहत राजस्थान में मिलने के पक्ष में है। भारत सरकार ने समिति की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए 1 मई, 1949 ई. को मत्स्य संघ को राजस्थान में मिलाने के संबंध में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।
मेवाङ का संयुक्त राजस्थान में विलय कब हुआ

उसके बाद मत्स्य संघ में सम्मिलित चारों राज्यों के शासकों को तथा प्रधानमंत्रियों को इस संबंध में आगे बातचीत के लिये 10 मई, 1949 ई. को दिल्ली बुलाया। बातचीत के बाद मत्स्य संघ को राजस्थान में विलीन करने का अंतिम निर्णय लिया गया । यह भी निर्णय लिया गया कि 15 मई, 1949 ई. को मत्स्य संग का प्रशासनिक दायित्व राजस्थान को हस्तान्तरित कर दिया जाय, पंडित हीरालाल शास्त्री राजस्थान के प्रधानमंत्री बने रहेंगे तथा मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री श्री शोभाराम को शास्त्री मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाय। तदनुसार, 15 मई, 1949 ई. को मत्स्य संघ भी राजस्थान का एक अंग बन गया।

References :
1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास

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