हिन्द-चीन के राज्यों में सर्वप्राचीन राज्य कान्यकुब्ज (कंबोडिया)में स्थित था। चीनी साहित्य में इसे फूनन (फूनान) कहा गया है, जिसकी स्थापना ईसा की प्रथम शताब्दी में कौण्डिन्य नामक ब्राह्मण ने की थी।
उसके आगमन के पूर्व वहाँ के निवासी असभ्य एवं जंगली थे। कौण्डिन्य ने वहाँ सभ्यता का प्रार किया तथा वहाँ के लोगों को वस्त्र पहनना सिखाया। कौण्डिन्य के वंशजों ने 100 वर्षों तक शासन किया। फूनन के हिन्दू राजाओं ने संपूर्ण कम्बोडिया, कोचीन-चीन, स्याम तथा मलय प्रायद्वीप के कुछ भागों को जीतकर हिन्द-चीन में प्रथम विशाल साम्राज्य की स्थापना की।
भारत तथा चीन के साथ उसके कूटनीतिक संबंध थे। छठीं शतीं में जयवर्मन् तथा रुद्रवर्मन फूनन के शक्तिशाली शासक थे।
सातवीं शतां में कम्बुज, जो पहले फूनन के अधीन था, स्वतंत्र हिन्दू-राज्य बन गया तथा उसने फूनन को जीत लिया। इस समय से कम्बुज हिन्द-चीन का सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य बन गया। यहाँ के प्रारंभिक शासकों में श्रुतवर्मन् तथा उसके पुत्र श्रेष्ठवर्मन् के नाम प्रसिद्ध हैं।
श्रेष्ठवर्मन् के काल में ही कान्यकुब्ज फूनन की अधीनता से मुक्त हुआ। छठीं शती के अंत में भववर्मन् ने कम्बुज में दूसरे राजवंश की स्थापना की। उसने फूनन की विजय की। महेन्द्रवर्मन् तथा ईशानवर्मन् इस वंश के अन्य शक्तिशाली राजा हुए। भववर्मन् के कुल ने संभवतः 981 ईस्वी तक राज्य किया।
इसके बाद कम्बुज पर शैलेन्द्र राजाओं का अधिकार हो गया। कम्बुज को शैलेन्द्र आधिपत्य से मुक्त कराने का श्रेय जयवर्मन् द्वितीय नामक शक्तिशाली राजा को दिया जाता है। उसने अंकोर क्षेत्र में अपनी राजधानी बनाई। जयवर्मन् द्वितीय ने 802 से 850 ईस्वी तक राज्य किया।
877ईस्वी में इन्द्रवर्मन् ने कम्बुज में एक अन्य राजवंश की स्थापना की। इस वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा यशोवर्मन् (889-900ईस्वी)हुआ। वह महान विजेता, विद्वान एवं निर्माता था। इन्द्रवर्मन् द्वारा स्थापित राजवंश ने 1001 ईस्वी के लगभग तक शासन किया। इस समय स्याम तथा लाओस पर कम्बुज का अधिकार हो गया। 11वीं शती के प्रारंभ में सूर्यवर्मन् प्रथम ने कम्बुज में एक दूसरे राजवंश की स्थापना की। उसके बाद सूर्यवर्मन् द्वितीय (1113-1145ईस्वी) कम्बुज का शक्तिशाली राजा बना। अंकोरवाट का प्रख्यात विष्णु मंदिर उसकी कीर्ति का स्मारक है।
कम्बुज का अंतिम प्रसिद्ध एवं शक्तिशाली शासक जयवर्मन् सप्तम था। वह महान विजेता एवं उत्साही निर्माता था। उसके समय में अंकोरथोम कम्बुज की राजधानी बनी। यह अत्यन्त प्रसिद्ध एवं सुन्दर नगर था। जयवर्मन् सप्तम के बाद कम्बुज का इतिहास अंधकारपूर्ण हो जाता है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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