इतिहासदक्षिण भारतप्राचीन भारतवेंगी के चालुक्य

वेंगी के चालुक्य शासक अम्म द्वितीय का इतिहास

वेंगी के चालुक्य शासक भीम द्वितीय के बाद 947 ई. के लगभग उसका पुत्र अम्म द्वितीय राजा बना। उसे राजमहेन्द्र तथा विजयादित्य भी कहते हैं। उसके राजा बनने के बाद युद्धमल्ल द्वितीय के पुत्रों- बादप तथा ताल द्वितीय ने (जो पिता की मृत्यु के बाद राष्ट्रकूट दरबार में भाग गये थे) कृष्ण तृतीय की सहायता पाकर वेंगी पर आक्रमण कर दिया। अम्म द्वितीय के कुछ अधिकारी भी उनसे जा मिले। मजबूर होकर अम्म को गद्दी छोङनी पङी तथा बादप ने वेंगी पर अधिकार कर लिया। उसने अपना नाम विजयादित्य रखा। उसके बाद उसका छोटा भाई विष्णुवर्धन नाम से राजा बना। किन्तु वह अधिक समय तक शासन नहीं कर सका तथा अम्म द्वितीय ने अपने उच्चाधिकारियों की सहायता से ताल को युद्ध में मारकर पुनः वेंगी के राजसिंहासन पर अधिकार कर लिया। किन्तु उसकी स्थिति अधिक समय तक सुरक्षित नहीं रही तथा उसे राष्ट्रकूटों के संकट का सामना करना पङा।

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राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तृतीय ने 950 ई.में चोल राज्य को जीतने के बाद अपनी सेना वेंगी विजय के लिये भेजी। उसने अम्म के सौतेले भाई दानार्णव को अपनी ओर मिला लिया। अम्म पराजित हुआ तथा उसने भागकर कलिंग में शरण ली। कृष्ण ने अपनी ओर से दानार्णव को वेंगी की गद्दी पर आसीन करवाया। कुछ समय बाद अम्म ने वेंगी पर फिर अधिकार कर लिया तथा 970 ई. तक शासन करता रहा। किन्तु अंत में दानार्णव द्वारा अम्म को पराजित कर मार डाला गया।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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