इतिहासऔद्योगिक क्रांतिविश्व का इतिहास

औद्योगिक क्रांति के परिणाम

औद्योगिक क्रांति के परिणाम

औद्योगिक क्रांति के परिणाम आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक आदि क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं। औद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप घरेलू उद्योग – धंधों का विनाश हो गया। जो कारीगर लोग अपने घर पर, अपने परिवार के सदस्यों के साथ, अपने थोङे से औजारों और सीमित पूँजी से काम करते थे। जिस वस्तु से रुचि होती थी, उसी को को बनाते थे, और उसी से निर्वाह कर लेते थे।

अब मशीनों से जो उत्पादन होता था, वह हाथ के उत्पादन से काफी सस्ता और सुन्दर होता था। अतः घरेलू उत्पादन की वस्तुओं के ग्राहक कम हो गये और कुटीर-उद्योग में काम करने वाले कारीगर बेकार हो गये। बङे-बङे कारखानों में फैक्ट्री पद्धति अपनाई गयी।

औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात इंग्लैण्ड से क्यों हुआ?

औद्योगिक क्रांति के परिणाम निम्नलिखित हैं –

औद्योगिक क्रांति के परिणाम

औद्योगिक क्रांति के परिणाम : आर्थिक परिणाम

  • घरेलू उद्योंगों का विनाश
  • बङे कारखानों की स्थापना
  • विशेषता का विकास
  • नए नगरों का विकास
  • राष्ट्रीय बाजारों को संरक्षण
  • राष्ट्रीय बाजारों को संरक्षण
  • परस्पर निर्भरता

औद्योगिक क्रांति के परिणाम : सामाजिक परिणाम

  • मध्यम वर्ग का उदय
  • श्रमिकों की दयनीय स्थिति
  • संयुक्त पारिवारिक प्रथा का छिन्न-भिन्न होना
  • अैतिकता का विकास
  • जन स्वास्थ्य की समस्या
  • गंदी बस्तियों की समस्या

औद्योगिक क्रांति के परिणाम : राजनैतिक परिणाम

  • राजनैतिक सुदृढता
  • औपनिवेशिक प्रतिस्पर्द्धा
  • विदेशी नीतियों में परिवर्तन
  • मध्यम वर्ग का राजनैतिक उत्कर्ष
  • श्रमिकों का संघर्ष
  • समाजवाद

औद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप समाजवाद का सहयोग

मजदूरों की स्थिति को सुधारने के लिये जो आंदोलन किया गया, वह आगे चलकर समाजवाद के नाम से प्रसिद्ध हुआ। समाजवाद का अर्थ है – समाज में समानता की स्थापना करना।

समानता का अर्थ है – आर्थिक और राजनीतिक समानता।अवसरों की समानता उपलब्ध कराना। समान कार्य के लिये समान वेतन उपलब्ध कराना। इस दिशा में सर्वप्रथम एक अंग्रेज उद्योगपति राबर्ट ओवन ने कदम बढाया। उसने अपनी न्यू लेनार्क (स्कॉटलैण्ड) की गंदी बस्ती को एक आदर्श बस्ती में बदल दिया।

न्यू लेनार्क में उसने अपने उद्योगों में मालिकाना अधिकार और मुनाफा मजदूरों और प्रबंधकों के बीच बाँट दिया। औवन का प्रयोग काफी सफल रहा, परंतु अन्य लोगों ने उसे यूटोपियन (काल्पनिक) समाजवादी कहकर उसकी योजना को अंगीकार नहीं किया।

फ्रांस में चार्ल्स कूरयाँ और क्लूडे हेनरी सॉसीमोन ने यह विचार प्रतिपादित किया कि सरकार संपत्ति का प्रबंध संभाले और सभी लोगों के बीच उसे बाँट दे। 1848 की क्रांति के समय लुई ब्लांक ने प्रस्ताव रखा, कि पेरिस शहर के बेरोजगारों के लिये सरकार को कारखाने खोलने चाहिये।

समाजवादी विचारधारा को अमर रूप प्रदान करने का श्रेय दो प्रमुख जर्मन सोशलिस्टों – कार्ल मार्क्स (1818-1883) और फ्रेडरिक ऐंगल्स को दिया जाता है।

1848 ई. में इन दोनों ने मिलकर कम्युनिस्ट घोषणा पत्र प्रकाशित करवाया। इसमें मजदूरों की निर्धन स्थिति को सुधारने संबंधी विचारों का प्रतिपादन किया गया था।

1867 ई. में मार्क्स और ऐंगल्स ने दास कैपीटल नामक पुस्तक की पहली तीन जिल्दें प्रकासित की। इन पुस्तकों में उन्होंने बहुत विस्तार के साथ अपने सिद्धांतों को स्पष्ट किया था, जो मार्क्सवादी समाजवाद या साम्यवाद के रूप में पुकारे गए।

कार्ल मार्क्स के प्रयत्नों से ही श्रमिकों में समाजवाद की भावना का प्रचार एवं प्रसार हुआ। वैज्ञानिक होने के नाते मार्क्स की विचारधारा व्यक्तिवाद एवं अन्य वादों से सर्वथा अलग है। यदि पूँजी और श्रम में निहित तथ्यों का गंभीर अध्ययन और विश्लेषण ही विज्ञान है, तो मार्क्स के समाजवाद को वैज्ञानिक कहा जा सकता है।

मार्क्स के मतानुसार किसान एवं मजदूर के हाथ में शक्ति आनी चाहिये। जब राज्य शक्ति जनता के हाथ में रहेगी और भूमि एवं पूँजी पर व्यक्तियों का स्वामित्व न रहेगा और सब लोग काम करने लगेंगे तो स्वयं एक वर्ग विहीन समाज का निर्माण हो जाएगा, जिसमें कोई किसी का शोषण नहीं कर सकेगा।

कार्ल मार्क्स ने 1864 ई. में पूँजीवाद के विरुद्ध सभी देशों के मजदूरों को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ में बाँधने का प्रयास किया। यह संगठन प्रथम इंटरनेशनल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। विभिन्न कारणों से 1876 ई. में प्रथम इंटरनेशन भंग हो गया। कुछ वर्षों बाद द्वितीय इंटरनेशनल की स्थापना की गयी। और पूंजीवादी सरकारों को पलटने के लिये प्रयास किये जाते रहे।

यूरोप के अधिकांश देशों में मार्क्सवादी विचारों का प्रचार करने के लिये राजनीतिक दल भी संगठित किये गये।

1906 ई. तक जर्मनी, बेल्जियम, आस्ट्रिया, फ्रांस, रूस, इंग्लैण्ड और संयुक्त राज्य अमेरिका में समाजवादी पार्टियाँ बन चुकी थी। और कुछ देशों में तो प्रमुखता की ओर अग्रसर होने लगी थी।

1917 ई. में रूस की राज्य क्रांति और साम्यवादी शासन की स्थापना से समाजवाद को बहुत बल प्राप्त हुआ।

प्रश्न : औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग सर्वप्रथण किस विद्वान ने किया
क)अर्नाल्ड टायनबी ख)नोवेल्स ग) डेविस घ) ए.बिर्नी

उत्तर क) अर्नाल्ड टायनबी।

प्रश्न : यूरोप में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात किस देश से हुआ
क) इटली ख) फ्रांस ग) इंग्लैण्ड घ) जर्मनी

उत्तर ग) इंग्लैण्ड।

प्रश्न : औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात किस क्षेत्र से शुरू हुआ
क) कृषि ख) मशीन निर्माण उद्योग ग) वस्त्र उद्योग घ) लोहा उद्योग

उत्तर ग) वस्त्र उद्योग।

प्रश्न : भाप के इंजन का आविष्कारक कौन था
क)जेम्सवाट ख) जार्ज स्टीफेन्स ग) हेनरी फोर्ड घ) चार्ल्स गुडइयर

उत्तर ख) जार्ज स्टीफेन्सन।

प्रश्न : वैल्थ ऑफ नेशन्स नामक पुस्तक का लेखक था
क)सर टामस मन ख) कोलबर्ट ग) विलयम पेटी घ) एडम स्मिथ

उत्तर घ) एडम स्मिथ।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

Online References
Wikipedia.org/wiki/Industrial_Revolution

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