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फासिस्टवाद के उदय के कारण

फासिस्टवाद के उदय के कारण

फासिस्टवाद के उदय के कारण (Causes of Rise of Fascism)

प्रथम विश्व युद्ध के बाद इटली में घोर निराशा तथा अराजकता के वातावरण में बेनिटो मुसोलिनी के नेतृत्व में फासिस्ट विचारधारा का प्रचार तेजी से होने लगा। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

फासिस्टवाद के उदय के कारण

फासिस्टवाद के उदय के कारण

वार्साय की संधि से उत्पन्न असंतोष

वार्साय संधि से इटली को निराशा ही हाथ लगी। 1915 की लंदन संधि में मिक्षराष्ट्रों ने उसे ब्रेनर दर्रे तक, दक्षिणी टिरोल, ट्रीस्ट, ट्रेण्टिनो, इरिट्रिया डालमेशिया तथा टर्की के कुछ क्षेत्र देने का वचन दिया गया था। लेकिन पेरिस शांति सम्मेलन में इसका पालन नहीं किया गया। इटली को सर्वाधिक निराशा फ्यूम न मिलने से हुई। उसे अल्बानिया पर मैण्डेट शासन का अधिकार भी नहीं दिया गया। इटली की जनता ने पेरिस शांति सम्मेलन में अपमान तथा विश्वासघात का कारण दुर्बल जनतांत्रिक सरकार को ठहराया। इटली की जनता के इस असंतोष तथा निराशा का लाभ फासिस्ट पार्टी को मिला।

अर्थव्यवस्था में गिरावट

युद्ध काल में इटली को बहुत धन खर्च करना पङा था। 3 अरब डालर की नागरिक सम्पत्ति नष्ट हो गयी थी। उद्योग व्यापार तथा कृषि चौपट हो चुकी थी। बेरोजगारी बढ गयी थी। सरकारी ऋण बढ गया था। मुद्रा का मूल्य 70 प्रतिशत गिर चुका था। जीवन निर्वाह कठिन हो गया था। देश में हङताल तथा विद्रोहों के कारण कर वसूली में गिरावट आ गयी थी। इटली वासी इन कठिनाइयों का कारण जनतांत्रिक सरकार की दुर्बलता मानते थे।

उपनिवेशों की लालसा

इटली साम्राज्य स्थापना की स्पर्धा में पीछे रह गया था। 1881 ई. में उसने ट्यूनिस पर अधिकार करना चाहा, किन्तु जर्मनी के समर्थन से फ्रांस ने इसे हथिया लिया। 1896 ई. में इटली ने अबीसीनिया पर आक्रमण किया, लेकिन अडोवा के युद्ध में उसे पराजित होना पङा। एकीकरण के बाद से ही इटलीवासी इटली के लिए साम्राज्य तथा भूमध्यसागर को रोमन झील बना देने का सपना संजोए हुए थे। मुसोलिनी ने इसे पूर्ण करने का वचन इटली की जनता को दिया।

साम्यवाद का प्रभाव

असंतोष तथा निराशा के वातावरण में इटली में साम्यवादियों का प्रभाव बढ रहा था। साम्यवादी इटली में रूस की भांति क्रांति द्वारा इटली को सशक्त राष्ट्र बनाना चाहते थे। साम्यवादी विचारधारा के प्रचार ने इटली के लोगों की राष्ट्रीय भावनाओं को बढाया। उग्र होती राष्ट्रीय भावना का लाभ फासिस्ट पार्टी ने उठाया।

भविष्य वादी विचारधारा

भविष्यवाद का प्रणेता मेरिनेटो था। इसके अनुसार विश्व की सफाई के लिए युद्ध अनिवार्य है। उसने प्रजातंत्र, उदारवाद तथा शांति का विरोध किया। इस युद्धवादी प्रचार से फासीवाद को प्रोत्साहन मिला।

हींगल के दर्शन का प्रचार

हीगल राज्य के लिये व्यक्ति को मानता था। व्यक्ति के अधिकार वही हैं जो राज्य उसे देता है। व्यक्ति की उन्नति राज्य की अधीनता में ही संभव है। राज्य ईश्वरीय है, वह कभी गलती नहीं कर सकता। इस जर्मनी विचारक के विचारों की बढती लोकप्रियता से फासिस्टवाट की स्वीकार्यता में वृद्धि हुई।

सशक्त शासन की आवश्यकता

इटली में अराजकता की स्थिति थी। जमींदार उनकी भूसंपत्ति की सुरक्षा चाहते थे। उद्योगपति उद्योगों में हङतालों की समाप्ति चाहते थे। इस समय साम्यवादी किसानों तथा मजदूरों को भङकाकर विद्रोह एवं हङतालें करवा रहे थे। लेकिन सरकार अकर्मण्य बनी हुई थी। राष्ट्रवादी, बुद्धिजीवी तथा सैनिक राष्ट्रीय गौरव के लिये शक्तिशाली सरकार चाहते थे। ऐसी परिस्थिति में मुसोलिनी का पदार्पण हुआ।

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