वेंगी के शासक चोडभीम का इतिहास
चोडभीम पेड्डकल्लु के तेलगुवंश का था। उसके वेंगी पर अधिकार करने के साथ ही कुछ समय के लिये वहाँ से चालुक्य शासन का अंत हो गया। भीम शक्तिशाली राजा था। उसने अंग, कलिंग, द्रविङ आदि के राजाओं को जीता तथा महेन्द्रगिरि से कांची तक के तटीय प्रदेश एवं बंगाल की खाङी से लेकर कर्नाटक तक अपने राज्य को विस्तृत किया। किन्तु वह अधिक समय तक निष्कंटक राज न कर सका। जिस समय चोडभीम ने दानार्णव की हत्या की थी, उसके दो पुत्रों – शक्तिवर्मा तथा विमलादित्य ने भागकर चोल शासक राजराज के दरबार में शरण ली थी।
राजराज ने शक्तिवर्मा की सहायता के लिये एक सेना उसके साथ भेजी। इस सेना ने चोडभीम को कई युद्धों में पराजित किया तता शक्तिवर्मा की सहायता के लिये एक सेना उसके साथ भेजी। इस सेना ने चोडभीम को कई युद्धों में पराजित किया तथा शक्तिवर्मा को वेंगी की गद्दी पर आसीन कराने के बाद स्वदेश लौट गयी।
चोडभीम ने कलिंग में शरण ली। किन्तु वह और वह शांत बैठने वाला नहीं था। चोल सेना के वापस लौटने के बाद उसने पुनः वेंगी पर आक्रमण कर शक्तिवर्मा को हराया और वहां अपना अधिकार जमा लिया। उसके बाद उसने चोलों के नगर कांची पर भी आक्रमण कर वहाँ अपना अधिकार किया। किन्तु उसकी यह सफलता कम समय के लिये ही थी। इसी समय राजराज ने उसके विरुद्ध अभियान छेङ दिया। उसने भीम की सेनाओं को न केवल अपने साम्राज्य से बाहर भगाया, अपितु विजय करते हुये कलिंग तक जा पहुँचा। चोडभीम 1003ई. के लगभग युद्ध में मारा गया। राजराज ने शक्तिवर्मा को पुनः वेंगी का शासक बना दिया।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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