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प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल दशपुर(मन्दसोर)

मध्य प्रदेश का वर्तमान मन्दसोर जनपद ही प्राचीन दशपुर था। यह पश्चिमी मालवा का प्रमुख नगर था। यह गुप्त काल में अत्यन्त प्रसिद्ध था। यह कुमारगुप्त के समय में पश्चिमी मालवा का एक भुक्ति था जिसका अधिष्ठान दशपुर नगर में ही था। बन्धुवर्मा यहाँ का राज्पाल था।

यहाँ से कुमारगुप्त के शासन-काल का एक लेख (473 ई. ) में मिला है। यह प्रशस्ति के रूप में है जिससे इस क्षेत्र की सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक अवस्था का ज्ञान होता है।

कुमारगुप्त का इतिहास

दशपुर नगर के सौन्दर्य का चित्रण मन्दसोर प्रशस्ति में हुआ है। यहाँ ऊँची अट्ठालिकायें, कूप, सरोवर आदि विद्यमान थे। यह भी ज्ञात होता है कि यह एक प्रसिद्ध व्यावसायिक नगर भी था। बुनकरों की एक श्रेणी (तन्तुवाय श्रेणी) ने अपने मूल स्थान लाट को छोड़कर यहाँ अपना आवास बना लिया था। वे रेश्मी वस्त्र बुनने में बहुत चतुर थे, साथ ही अन्य शिल्पों के भी ज्ञाता थे। उनके आगामन से इस नगर की समृद्धी और अधिक बढ़ गयी। यहाँ अनेक मन्दिर थे जिनमें सूर्य का मन्दिर प्रसिद्ध था। तन्तुवाय श्रेणी ने ही इसका निर्माण करवाया था। मन्दिर में चौड़े एवं ऊँचे शिखर थे। बाद में जब इस मन्दिर एक भाग नष्ट हो गया तो इसी श्रेणी ने धन देकर इसका जीर्णोद्वार करवाया था।

गुप्त काल के बाद मालवा के पराक्रमी शासक यशोधर्मन् ने यहाँ शासन किया। उसका का भी एक लेख यहाँ से मिला है जिससे पता चलता है कि हूण नरेश मिहिरकुल को पराजित किया था।

हूण शक्ति का उत्थान तथा हूण नेता मिहिरकुल का इतिहास।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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