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द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध का वर्णन

तीय आंग्ल मैसूर युद्ध

द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1780-84ई.)-

इस युद्ध के समय एक बार फिर हैदर ने निजाम और मराठों से अंग्रेजों के विरुद्ध संधि कर ली।

1773ई. में अंग्रेजों ने मैसूर में स्थित फ्रांसीसी कब्जे वाले माहे पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया जो हैदर के लिए एक खुली चुनौती थी।

1780ई. में हैदरअली ने कर्नाटक पर आक्रमण कर द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध की शुरूआत की, उसने अंग्रेज जनरल बेली को बुरी तरह परास्त कर आरकाट पर अधिकार कर लिया।

1781में हैदर अली का सामना अंग्रेज जनरल आयरकूट से हुआ जिसे वारेन हेस्टिंग्ज ने हैदर अली के विरुद्ध भेजा था, आयरकूट ने पोर्टोनोवा के युद्ध में हैदर को परास्त अवश्य किया लेकिन इसका उसे कोई तात्कालिक लाभ नहीं मिला।

1782 ई. में हैदर एक बार फिर अंग्रेजी सेना को पराजित करने में सफल हुआ, लेकिन युद्ध क्षेत्र में घायल हो जाने के कारण 7दिसंबर,1782को हैदरअली की मृत्यु हो गई।

हैदर की मृत्यु के बाद युद्ध के संचालन का भार उसके पुत्र टीपू सुल्तान पर आ गया,इसने अंग्रेजी सेना के ब्रिगेडियर मैथ्यूज को 1783 ई. में बंदी बना लिया।

1784 ई. तक टीपू ने द्वितीय युद्ध को जारी रखा, अंततःदोनों पक्षों में मंगलौर की संधि संपन्न हो गई,जिसके तहत दोनों पक्षों ने एक दूसरे के जीते हुए प्रदेशों को वापस कर दिया।

मंगलौर की संधि से असंतुष्ट गवर्नर जनरल वारेन हेस्टंग्स ने कहा कि यह लार्ड मैकार्टनी कैसा आदमी है, मैं अभी भी विश्वास करता हूँ कि वह संधि के बावजूद भी कर्नाटक को खो देगा।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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