इतिहासमध्यकालीन भारतविदेशी यात्री

दुआर्ते बारबोसा (1508-1516ई.) | Duarte Barbosa

दुआर्ते बारबोसा – बारबोसा पुर्तगाल का नागरिक था। वह भारत में 1500 ई. से 1516 ई. तक पुर्तगाली अधिकारी के रूप में रहा तथा बाद में पुर्तगाली गवर्नर अल्बुकर्क के दुभाषिए के रूप में कार्य किया। इसने कृष्ण देवराय के शासन काल में विजयनगर की यात्रा की थी। 1517-18 ई. में वह पुर्तगाल लौट गया जहां उसने अपनी यात्रा वृत्तांत को अंतिम रूप दिया। इस वृतांत में विजयनगर का पूरा विवरण विद्यमान हैं अपने विवरण में उसने कृष्ण देवराय के विषय में लिखा है कि – राजा की यह आज्ञा थी कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी समुदाय का हो अपनी इच्छानुसार बिना किसी भय के आ जा सकता है तथा कही भी रह सकता है। एशियाई व्यापार के विषय में उसने टिप्पणी करते हुए लिखा है कि मलक्का कैम्बे के बिना नहीं रह सकता और न ही कैम्बे मलक्का के बिना, अगर उन्हें बहुत धनी और समृद्ध बनना हो। अपने विवरण में बारबोसा ने विजयनगर में प्रचलित सती प्रथा का वर्णन किया है। उसके अनुसार यह प्रथा उच्च वर्णो, लिंगायतों, चेट्टियों एवं ब्राह्मणों में प्रचलित नहीं थी। यह प्रथा केवल नायकों एवं राजपरिवार तक ही सीमित थी। बारबोसा के अनुसार दक्षिण भारत के जहाज मालदीव द्वीप में बनते थे।

References :
1. पुस्तक - मध्यकालीन भारत, लेखक- एस.के.पाण्डे 

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