इतिहासफ्रांस की क्रांतिविश्व का इतिहास

फ्रांस में कम्यून का शासन

फ्रांस में कम्यून का शासन

10 अगस्त 1792 को फ्रांस में एक विद्रोह हुआ था, यह विद्रोह तथा पेरिस की क्रांतिकारी समिति फ्रांस में अव्यवस्था उत्पन्न करने के लिये उत्तरदायी थी, जिसमें जैकोबिन लोगों की प्रधानता थी। वे किसी भी उपाय से राजा का हटाना चाहते थे।

उनके प्रभाव में आकर विधानसभा ने राजा का पद अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया, परंतु राजतंत्र को समाप्त करने के लिये एक नए संविधान की आवश्यकता थी, क्योंकि मौजूदा संविधान राजतंत्रीय था। अतः संविधान पर विचार करने के लिये एक सम्मेलन बुलाने का निश्चय किया गया।

सम्मेलन के चुनाव के लिये संपत्ति पर आधारित मताधिकार नियम को हटाकर सार्वभौम मताधिकार की घोषणा की गई। इसके साथ ही विधानसभा भंग हो गई। सम्मेलन के अधिवेशन के शुरू होने तक की बीच की अवधि के लिये एक अस्थायी कार्यपालिका समिति गठित की गयी, जिसका अध्यक्ष दांतो को बनाया गया, परंतु इस समिति पर क्रांतिकारी कम्यून का जबरदस्त प्रभाव था, अतः अल्पकाल को कम्यून का शासन कहा जाता है।

कम्यून ने विधानसभा के प्रस्तावों की अवहेलना करते हुये राजा और रानी को टेम्पिल नामक पुराने किले में बंदी बनाकर रखा गया। राजा के अनेक समर्थकों को जेलों में ठूँस दिया गया। कम्यून ने प्रेस की स्वतंत्रता को भी समाप्त कर दिया। सितंबर मास में कम्यून ने भयंकर हत्याकांड का संगठन किया।

तमाम व्यक्तियों को जिन पर शत्रु को सहायता पहुँचाने का जरा भी संदेह हुआ, मौत के घाट उतार दिया गया। 2 सितंबर से 6 सितंबर के मध्य लगभग 1200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। ऐसे ही वातावरण में सम्मेलन (कन्वेशन) का चुनाव हुआ।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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