आधुनिक भारतइतिहासविदेशी सम्बन्ध

ताशकंद समझौता (10 जनवरी,1966) क्यों हुआ

ताशकंद रसिया( सोवियत रूस ) की एक जगह है। सोवियत प्रधान मंत्री कोसीजिन के प्रयास से दोनों देशों(भारत एवं पाकिस्तान) के बीच उजबेकिस्तान ( पूर्व सोवियत संघ ) की राजधानी ताशकंद में एक समझौता हुआ।

इस समझौते में भारत व पाकिस्तान के बीच वो बातें हुई, जो शिमला समझौते(1972ई.) के बाद रखी गयी थी। वहीं बातें बार-2 रखी गयी।तथा समझौतों का उल्लंघन भी बार-2 होता रहा है।

1965 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में मात दी थी। इसके बाद 1966 में 10 जनवरी, को भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था, जिसे ताशकंद समझौता कहा जाता है।

यह समझौता 4 जनवरी, 1966 को प्रारंभ हुआ। 10 जनवरी, 1966 को पाकिस्तानी राष्ट्रपति अय्यूब खाँ और भारतीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये।

ताशकंद संधि के तहत यह तय हुआ, कि दोनों देशों के सशस्त्र सैनिक 25 फरवरी, 1966 से पूर्व उस स्थान पर वापस चले जायेंगे, जहाँ वे 5 अगस्त 1965 के पूर्व थे और दोनों देश युद्ध-विराम की शर्तों का पालन करेंगे।

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु

Related image

ताशकंद समझौते से लौटते समय 11 जनवरी, 1966 को भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रास्ते में ही मृत्यु हो गयी।

दावा किया जाता है, कि शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पङने से हुई, लेकिन उनके डॉक्टर ने कहा था कि लाल बहादुर शास्त्री को कोई बीमारी नहीं रही थी।

लाल बहादुर शास्त्री के साथ उनके सूचना अधिकारी रहे प्रसिद्ध पत्रकार कुलदीप नैयर भी थे। उन्होंने पूरी घटना के बारे में विस्तार से लिखा है।

उन्होंने लिखा है, रात में मैं सो रहा था अचानक दरवाजा खटखटाने की आवाज पर जाग गया। दरवाजा एक रूसी महिला खटखटा रही थी। उन्होंने मुझे बताया, आपके प्रधानमंत्री की हालत गंभीर है।मैंने तुरंत कपङे बदले और एक भारतीय अधिकारी के साथ शास्त्री जी के कमरे में गया जो मेरे कमरे से कुछ दूरी पर था। वहां मैंने बिस्तर पर उन्हें मृत पाया।

शास्त्रीजी की मृत्यु की घटना ऐसी थी, जिस पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा था। कुलदीप नैयर ने अपनी जीवनी बियॉन्ड द लाइन्स में लिखा है कि जब उन्होंने भारत में इसकी सूचना दी तो किसी को यकीन नहीं हो रहा था।

उन्होंने यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया के पास फोन करके पहले सूचना दी थी। उन्होंने किताब में लिखा है, उस दिन नाइट ड्यूटी में सुरिंदर धिंगरा थे। शास्त्रीजी नहीं रहे मैंने उनको यह फ्लैश चलाने को कहा।

धिंगरा हँसने लगे और मुझसे कहा कि आप मजाक कर रहे हैं। धिंगरा ने मुझे कहा कि शाम के ही समारोह में तो हमने शास्त्रीजी की स्पीच कवर की है।

शास्त्रीजी के व्यक्तित्व से अपने तो अपने गैर भी बहुत प्रभावित थे। कुलदीप नैयर लिखते हैं कि शास्त्रीजी के निधन की बात सुनकर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अय्यूब खान को भी दुख हुआ। उन्होंने लिखा है कि जनरल अय्यूब खान…..शास्त्रीजी के कमरे में सुबह 4 बजे आये थे और मेरी तरफ देखकर कहा यहां एक शांति पुरुष पङा हुआ है, जिसने भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।

लाल बहीदुर शास्त्री की पत्नी ललिता देवी ने कहा था, कि मौत के बाद उनका शरीर नीला था और कहीं-2 कटने के निशान भी थे।

ऐसा कहा गया कि लाल बहादुर शास्त्री का पोस्टम मॉर्टम नहीं किया गया था, लेकिन शव के नीला होने की वजह से यह आशंका जताई गई की उनका पोस्ट मॉर्टम हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने कहा था, कि उनके पिता को ताशकंद शहर से 20 किलोमीटर दूर एक होटल में रखा गया। उनके कमरे में न तो फोन था, न हीं कोई बेल, न कोई शख्स मदद के लिए। उन्होंने कहा कि शास्त्रीजी हमेशा अपने साथ एक डायरी रखते थे, लेकिन ताशकंद से उनकी डायरी वापस नहीं आई। जिस वजह से उनकी मौत को लेकर संदेह होता है। अनिल शास्त्री के मुताबिक पिता के शरीर प नीले निशान साफ बताते थे, कि उनकी मौत अप्राकृतिक थी।

गृह मंत्रालय ने लाल बहादुर शास्त्री की आकस्मिक मौत का मामला दिल्ली पुलिस को और नैशनल आर्काइव्स को सौंपा था। शास्त्री जी के बेटे ने इस कदम को बेतुका करार दिया था।

उन्होंने कहा था किस कैसे पीएम रहते हुए किसी की मौत के मामले की जांच जिला स्तर की पुलिस को सौंपी जा सकती है। बल्कि जांच उच्च अधिकारियों को करनी चाहिए थी।

ताशकंद समझौते के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-

  • भारत और पाकिस्तान शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे और अपने-2 झगङों को शांतिपूर्वक तय करेंगे।
  • दोनों देश 25 फरवरी, 1966 तक अपनी सेनाएँ 5 अगस्त, 1965 की सीमा रेखा पर पीछे हटा लेंगे।
  • इन दोनों देशों के बीच आपसी हित के मामलों में शिखर वार्ताएं तथा अन्य स्तरों पर वार्ताएँ जारी रहेंगी।
  • भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने पर आधारित होंगे।
  • दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध फिर से स्थापित कर दिये जायेंगे।
  • दोनों देशों के बीच संचार माध्यमों को फिर से सुचारू कर दिया जायेगा।
  • आर्थिक एवं व्यापारिक संबंधों तथा संचार संबंधों की फिर से स्थापना तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान फिर से शुरु करने पर विचार किया जायेगा।
  • शरणार्थियों की समस्याओं तथा अवैध प्रवासी प्रश्न पर विचार-विमर्श जारी रखा जाएगा तथा हाल के संघर्ष में जब्त की गई एक दूसरे की संपत्ति को लौटाने के प्रश्न पर विचार किया जायेगा।

निष्कर्ष

इस समझौते के क्रियान्वयन के फलस्वरूप दोनों पक्षों की सेनाएँ उस सीमा पर वापस लौट गई, जहां पर वे युद्ध के पूर्व में तैनात थी। परंतु इस घोषणा से भारत-पाकिस्तान के दीर्घकालीन संबंधों पर बङा गहरा प्रभाव पङा।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

Related Articles

error: Content is protected !!