2 जनवरी : गुरु गोविंद सिंह जयंती
गुरु गोविंदसिंह जी सिक्खों के दसवें तथा अंतिम गुरु थे, उनकी याद में उनके जन्म दिवस पर गुरु गोविंद सिंह जयंती मनायी जाती है।गुरु गोविंदसिंह जयंती आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में या फिर एक वर्ष में दो बार भी मनाई जाती है, क्योंकि इसकी गणना विक्रमी कंलैण्डर के अनुसार की जाती है।विक्रमी कलैंडर हिन्दू कलैंडर पर आधारित है। 2020 अर्थात् इस बार गुरु गोविंद सिंह जयंती 2 जनवरी को मनायी जायेगी।
इस दिन सभी गुरुद्वारों में जुलूस निकाले जाते हैं। इस दिन भक्ति गीत गाये जाते हैं।बच्चों तथा बजुर्गों व जवानों के बीच मिठाईयाँ बाँटी जाती हैं।
गुरु गोबिंद सिंह कौन थे?
गुरू गोविंद सिंह( 1675-1708ई.)- पटना में जन्म हुआ। पंजाब की तराई मखोवल अथवा आनंदपुर में अपना मुख्यालय बनाया। पाहुल प्रथा प्रारंभ की, इस मत में दीक्षित को खालसा कहा गया। तथा नाम के अंत में सिंह की उपाधि दी गयी, 1699ई. में खालसा का गठन, प्रत्येक सिक्ख को पंचमकार (केश, कंघा, कङा, कच्छ और कृपाण) धारण करने का आदेश दिया, अपनी मृत्यु से पहले गद्दी को समाप्त कर दिया, एक पूरक ग्रंथ दसवें बादशाह का ग्रंथ संकलन किया।
गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के 10वें गुरु थे।इन्होंने ही सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) को पूरा किया। साथ ही गोबिंद सिंह जी ने खालसा वाणी – “वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह” भी दी।खालसा पंथ की की रक्षा के लिए गुरु गोबिंग सिंह जी मुगलों और उनके सहयोगियों से लगभग 14 बार लड़े।उन्होंने जीवन जीने के लिए पांच सिद्धांत भी दिए, जिन्हें ‘पांच ककार’ कहा जाता है।पांच ककार का मतलब ‘क‘ शब्द से शुरू होने वाली उन 5( केश, कंघा, कङा, कच्छ और कृपाण )चीजों से है, जिन्हें गुरु गोबिंद सिंह के सिद्धांतों के अनुसार सभी खालसा सिखों को धारण करना होता है।
गुरु गोबिंग सिंह जी की रचनाएं
गुरु गोबिंद सिंह की गिनती महान लेखकों और रचनाकारों में होती है. उन्होंने ‘जाप’ साहिब, ‘अकाल उस्तत’, ‘बिचित्र नाटक’, ‘चंडी चरित्र’, ‘शास्त्र नाम माला’, ‘अथ पख्यां चरित्र लिख्यते’, ‘ज़फ़रनामा’ और ‘खालसा महिमा’ जैसी रचनाएं लिखीं. ‘बिचित्र नाटक’ को उनकी आत्मकथा माना जाता है, जोकि ‘दसम ग्रन्थ’ का एक भाग है.
गुरु गोबिंद सिंह जी की वाणी
1. इंसान से प्रेम करना ही, ईश्वर की सच्ची आस्था और भक्ति है।
2. मैं उन लोगों को पसंद करता हूँ जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं।
3. अज्ञानी व्यक्ति पूरी तरह से अंधा है, वह मूल्यवान चीजों की कद्र नहीं करता है।
4. भगवान के नाम के अलावा कोई मित्र नहीं है, भगवान के विनम्र सेवक इसी का चिंतन करते और इसी को देखते हैं।
5. ईश्वर ने हमें जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें।