हेमचंद्र नामक विद्वान के बारे में जानकारी
हेमचंद्र का आविर्भाव बारहवीं शती में हुआ तथा ये गुजरात के चौलुक्य शासकों जयसिंह एवं कुमारपाल की सभा में निवास करते थे। कुमारपाल को हेमचंद्र ने ही जैन मत में दीक्षित किया था।
हेमचंद्र ने कई ग्रंथों की रचना की, जिनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध महाकाव्य कुमारपालचरित है, जिसे द्वयाश्रममहाकाव्य भी कहा जाता है। इसमें चौलुक्य शासकों का विस्तृत इतिहास काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है। कुमारपाल के अहिंसा प्रचार के साथ इस ग्रंथ की समाप्ति होती है। अंतिम सर्गों में कुमारपाल के जीवन-चरित का रोचक चरित्र-चित्रण किया गया है।
कई अन्य ऐतिहासिक ग्रंथ भी हैं। इन ग्रंथों में नयनचंद सूरि का हम्मीरकाव्य, जयानक का पृथ्वीराज विजय, वाक्पतिराज का गौडवहो, संध्याकर नंदी का रामपालचरित आदि उल्लेखनीय हैं। इनमें कवियों ने अपने आश्रयदाता शासकों के जीवन की विभिन्न घटनाओं का विवरण काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है। ये वर्णन यद्यपि अतिश्योक्तिपूर्ण हैं, तथापि इनमें पर्याप्त मात्रा में ऐतिहासिकता भी है और इनकी पुष्टि तत्कालीन लेखों एवं अन्य साक्ष्यों से भी हो जाती है। इस प्रकार ऐतिहासिक कवियों ने अनपी रचनाओं के माध्यम से अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का सफलतापूर्वक विवरण दिया है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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