इतिहासप्राचीन भारत

हितोपदेश की रचना किसने की थी

भारतीय कथाओं का यह दूसरा प्रसिद्ध ग्रंथ है, जिसकी रचना पंचतंत्र शैली पर ही की गयी है। इसके रचनाकार का नाम नारायण मिलता है। हितोपदेश के चार भाग हैं – मित्रलाभ, मित्रभेद, विग्रह तथा संधि। इसका मुख्य उद्देश्य बालकों को लोक कथाओं के माध्यम से नीति की शिक्षा प्रदान करना था। इसमें 679 नीति-संबंधी श्लोक हैं, जो महाभारत, धर्मशास्त्र, पुराण, चाणक्य-नीति आदि से संग्रहीत किये गये हैं। हितोपदेश को संस्कृत शिक्षण का पहला ग्रंथ माना जाता है। इसका भी अनुवाद कई यूरोपीय भाषाओं में किया जा चुका है, जिससे इसकी लोकप्रियता सूचित होती है।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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