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हिटलर का परिचय एवं जर्मनी में नाजीवाद

हिटलर का परिचय एवं जर्मनी में नाजीवाद

हिटलर का परिचय (Introduction to Hitler)

वाइमर गणतंत्र की समाप्ति नाजी दल के नेता एडोल्फ हिटलर के हाथों 1933 ई. में हुई। हिटलर का जन्म 1889 ई. में आस्ट्रिया के छोटे से ग्राम बौनी में हुआ था उसका पिता चुंगी कर्मचारी था। निर्धनता के कारण वह उच्च शिक्षा प्राप्त न कर सका। वह आजीविका के लिये पेन्टर का कार्य करने लगा। वह प्रारंभ से ही जर्मन जाति को श्रेष्ठ मानता था। उसे जनतंत्र तथा यहूदियों से घृणा थी।

विश्वयुद्ध प्रारंभ होते ही वह सेना में भर्ती हो गया। युद्ध में वीरता से लङते हुए वह घायल हो गया। उसे वीरता का पदक आयरन क्राॅस भी मिला। युद्ध में जर्मनी की पराजय से हिटलर को बहुत निराशा हुई। उसने इस पराजय के लिये साम्यवादियों, यहूदियों तथा नेताओं के विश्वासघात को उत्तरदायी ठहराया।

स्वस्थ होने पर हिटलर ने 1920 ई. में उसने श्रमिक दल की सदस्यता ग्रहण कर ली। उसने इस दल का कायाकल्प कर दिया। उसने दल का नया नाम राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन श्रमिक दल रखा जिसे जर्मन भाषा में नाजीदल कहा जाता था। उसने अपने दल का चिन्ह स्वस्तिक को बनाया। हिटलर ने सत्ता पाने के लिये ल्यूडेन डाॅर्फ के सहयोग से 8 नवम्बर, 1923 ई. में विद्रोह कर दिया। हिटलर को बंदी बना लिया गया तथा 5 वर्ष की कैद की सजा दी गयी। बंदीगृह में रहकर उसने मीन काम्फ (मेरा संघर्ष) नामक पुस्तक लिखी। उसे 8 माह बाद ही बंदी गृह से मुक्त कर दिया गया।

हिटलर का कार्यक्रम

हिटलर का कार्यक्रम निम्नलिखित था-

यहूदी विरोध, बोल्शेविज्म का विरोध, पूंजीवाद का विरोध।

हिटलर वाइमर गणतंत्र का विरोधी था। वह एक व्यक्ति के शासन का समर्थक था। वह वृहत्तर जर्मनी की स्थापना करना चाहता था। उसके अनुसार जर्मनी जाति आर्य नस्ल की थी। वह तृतीय रीश (तृतीय जर्मनी साम्राज्य) स्थापित करना चाहता था। वह वर्साय संधि का घोर विरोधी था। वह जर्मनी के शस्त्रीकरण तथा युद्ध का समर्थक था। हिटलर फ्रांस तथा रूस को घोर शत्रु मानता था। वह इंग्लैण्ड तथा इटली से मित्रता चाहता था। वह साम्यवाद का विरोधी था। किन्तु उद्योगों के राष्ट्रीयकरण के पक्ष में था।

हिटलर योग्य संगठनकर्ता था। उसके भाषण उत्तेजक तथा भावना भङकाने वाले होते थे। 1929-30 ई. की आर्थिक मंदी के काल में उसके दल की लोकप्रियता बढने लगी। उसके दल की संख्या 70 लाख तक हो गयी। उसने दो प्रकार के स्वयं सेवक दल गठित किए। प्रथम भूरी कमीज पहनते थे। इनका काम नाजी दल की सभाओं की रक्षा तथा अन्य दलों की सभा भंग करना था। द्वितीय दल एस.एस. कहलाता था। इसके सदस्य काली कमीज पहनते थे। इनका कार्य अपने नेताओं की रक्षा करना था।

सत्ता पर अधिकार

1932 ई. में हिटलर ने हिंडनबर्ग के विरुद्ध राष्ट्रपति पद का चुनाव लङा। लेकिन बहुत कम अंतर से वह हार गया। इसी वर्ष संसद के चुनावों में नाजी दल ने सबसे अधिक स्थान प्राप्त किए। जनवरी 1933 ई. में हिटलर चांसलर बना। उसने राष्ट्रवादी दल के साथ मिलकर सरकार बनाई। 28 फरवरी को संसद भवन में रहस्यमयी ढंग से आग लग गयी। हिटलर ने इसका दोष साम्यवादियों पर लगाते हुए उनके विरुद्ध दमनचक्र आरंभ कर दिया। उसने संसद से 4 वर्ष के लिए समस्त शक्तियाँ प्राप्त कर ली।

29 जून, 1933 ई. को राष्ट्रपति हिंडनबर्ग की मृत्यु के बाद हिटलर ने इस पद को भी स्वयं के पास रख लिया। उसने फयूहरर नामक नया पद बनाकर स्वयं को उस पर प्रतिष्ठित कर लिया। नाजी दल के अलावा अन्य दलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हिटलर ने अपने सभी विरोधियों को मरवा डाला। इस प्रकार यह वैध तरीकों से जर्मनी में अधिनायकत्व स्थापित करने में सफल हुआ।

जर्मनी में नाजीवाद की स्थापना के कारण

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