इतिहासगुप्तोत्तर कालप्राचीन भारत

महासेनगुप्त का इतिहास

दामोदरगुप्त के बाद उसका पुत्र महासेनगुप्त शासक बना। अफसढ लेख में उसकी शक्ति की प्रशंसा करते हुए कहा गया है, कि वह वीरों में अग्रणी था तथा उसने समाज में सर्वश्रेष्ठ पराक्रमी होने का यश अर्जित किया था।

YouTube Video

लेख से पता चलता है, कि उसने असम नरेश सुस्थितवर्मन् को लौहित्य नदी (ब्रह्मपुत्र) के तट पर पराजित किया, जिससे उसका यश नदी के दोनों तटों पर गाया जाता था। यह पराजित नरेश हर्ष के मित्र भास्करवर्मा का पिता था। सुधाकर चट्टोपाध्याय का विचार है, कि इस समय महासेनगुप्त मौखरि नरेश अवंतिवर्मा की अधीनता स्वीकार करते थे। इसी कारण महासेनगुप्त को महाराज धिराज नहीं कहा गया है।

उसने असम की विजय अपने सम्राट अवंतिवर्मा की ओर से ही की थी। रायचौधरी का विचार है, कि महासेनगुप्त ने मौखरियों की बढती हुई शक्ति से भयभीत होकर ही पुष्यभूति वंश में संबंध स्थापित किया था।

Reference : https://www.indiaolddays.com

Related Articles

error: Content is protected !!