इतिहासफ्रांस की क्रांतिविश्व का इतिहास

फ्रांस की क्रांति का यूरोप पर प्रभाव

यूरोप के इतिहास में ही नहीं अपितु सारे संसार के इतिहास में फ्रांस की क्रांति का एक विशिष्ट स्थान है। इस क्रांति ने सही अर्थों में मध्ययुगीन व्यवस्था का अंत करके आधुनिक युग का सूत्रपात किया। इतिहासकार हेजन के शब्दों में, फ्रांस की क्रांति ने राज्य के संबंध में एक नई धारणा को जन्म दिया, राजनीति तथा समाज के विषय में नए सिद्धांत प्रतिपादित किए, जीवन का एक नया दृष्टिकोण सामने रखा और एक नई आशा तथा विश्वास उत्पन्न किया।

इन चीजों से बहुसंख्यक जनता की कल्पना और विचार प्रज्जवलित हुए, उनमें एक अद्वितीय उत्साह का संचार हुआ तथा असीम आशाओं ने उन्हें अनुप्राणित किया।

इतिहासकार डेविस का मत है, कि 1917 की रूसी क्रांति के पूर्व और कुछ अंशों में उसके बाद भी इस क्रांति ने संसार की अधिकांश महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं को प्रभावित किया है।

फ्रांस की क्रांति के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित हैं

सामंती व्यवस्था का अंत

मध्यकालीन समाज की सामंती व्यवस्था का अंत करना फ्रांसीसी क्रांति की सबसे महत्त्वपूर्ण देन है। सदियों तक करोङों व्यक्ति इस व्यवस्था के अंतर्गत पिसते रहे। आर्थिक शोषण तो इस व्यवस्था की चारित्रिक विशेषता थी ही, लेकिन इसकी सबसे बङी बुराई यह थी कि इसके अंतर्गत सामान्य व्यक्ति का कुछ भी महत्त्व न था। फ्रांस की क्रांति ने इस अपमानजनक व्यवस्था का अंत कर दिया। उसने समानता के सिद्धांत का प्रतिपादन करके सामान्य व्यक्तियों को उनके उपयुक्त स्थान पर प्रतिष्ठित किया। फ्रांस की क्रांति का आगे चलकर दूसरे देशों के लोगों पर इतना अधिक प्रभाव पङा कि यूरोप के अन्य देशों में धीरे – धीरे सामंती व्यवस्था का अंत हो गया।

धर्म निरपेक्ष राज्य का उदय

धर्म के क्षेत्र में उदारता और बाद में साहिष्णुता लाना इस क्रांति की एक अन्य महत्त्वपूर्ण देन है। क्रांति के फलस्वरूप यूरोपीय देशों में धार्मिक सहिष्णुता का प्रादुर्भाव हुआ और लोगों को धार्मिक उपासना की स्वतंत्रता मिली। मध्यकालीन शासकों का हमेशा यही प्रयास रहता था कि उनके राज्य के सभी निवासी केवल उसी धर्म को मानें, जिसमें स्वयं राजा विश्वास करता हो। अन्य धर्मावलंबियों को कठोर से कठोर दंड दिए जाते थे। क्रांति में धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करके मानवता की बहुत बङी सेवा की है।

राष्ट्रीयता का विकास

फ्रांस की क्रांति ने एक ऐसी प्रगतिशील राष्ट्रीयता को जन्म दिया, जिससे आधुनिक संसार आज भी अत्यधिक प्रभावित है। नागरिकों के ह्रदय में अपने देश की सुरक्षा के लिये राष्ट्रीयता की यह भावना केवल फ्रांस तक ही सीमित नहीं रही। जैसे-जैसे क्रांति का विस्तार होता गया, वैसे-वैसे यूरोप के अन्य देश भी इस भावना से प्रभावित और प्रेरित होने लगे। संसार के सभी पददलित और परतंत्र लोगों में इस भावना का प्रसार हुआ और प्रत्येक देश में अपने राष्ट्र को स्वतंत्र तथा उन्नत बनाने के लिये आंदोलन उठ खङे हुए।

राजनीतिक देन

क्रांति ने राजाओं के दैवी सिद्धांत का अंत कर लोकप्रिय संप्रभूता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। शासन की बागडोर केवल एक व्यक्ति के हाथ में न रहकर तथा संप्रभूता केवल राजा में ही केन्द्रित न होकर, राज्य की जनता के हाथ में हो, यह इस क्रांति ने प्रमाणित कर दिखाया। अब सर्वसाधारण प्रत्यक्ष रूप से देश की राजनीति में हिस्सा बँटाने लगा। इससे जनता में आत्मविश्वास की एक नई भावना का संचार हुआ।राजनैतिक दलों का बङे पैमाने पर उदय एवं विकास हुआ।

व्यक्ति की महत्ता

मानव अधिकारों की घोषणा और स्वतंत्रता एवं समानता के सिद्धांतों का प्रतिपादन करके फ्रांस की क्रांति ने व्यक्ति की महत्ता एवं गरिमा को स्वीकार किया। क्रांति के पूर्व साधारण व्यक्ति का कुछ भी महत्त्व नहीं था। समाज में केवल विशेषाधिकार संपन्न लोगों का ही प्रभाव था। अब सर्वोच्च सत्ता जनता में विश्वास् करने लगी। जनता के विचारों की अभिव्यक्ति ही शासन के स्वरूप का आधार बन गई। इस प्रकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सिद्धांत क्रांति की अमूल्य देन बन गया।

समाजवाद का प्रारंभ

फ्रांस की क्रांति ने समाजवादी व्यवस्था का मार्ग भी प्रशस्त किया। इसने अमीरों और निर्धनों को न्याय के सन्मुख समानता प्रदान की। सभी के लिये समान कानूनों की व्यवस्ता की। यह ठीक है, कि क्रांति ने श्रमिकों की स्थिति को सुधारने तथा पूँजीपतियों का सफाया करने में अधिक सक्रिय कदम नहीं उठाए, परंतु सामंत प्रथा का अंत, विशेषाधिकारों की समाप्ति तथा चर्च की शक्ति को समाप्त करके उसने समाजवादी व्यवस्था की पृष्ठभूमि अवश्य तैयार कर दी।

स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व

फ्रांस की क्रांति ने मानव जाति को स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व का नारा प्रदान किया। स्वतंत्रता मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार मान लिया गया। राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा धार्मिक दृष्टि से प्रत्येक नागरिक को पूर्ण स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया। इसी प्रकार, भाषण, लेखन, प्रेस तथा जान-माल की सुरक्षा आदि के अधिकार दिए गये। न्याय के सम्मुख समानता एवं सार्वजनिक पदों को योग्य व्यक्तियों के लिये खोलना समानता का ज्वलंत उदाहरण है। परस्पर प्रेम, सहयोग एवं सहानुभूति ही बंधुत्व है और इसी का विकास क्रांति का मुख्य ध्येय रहा था। इन्हीं के आधार पर आने वाले संसार में लोकतंत्र की नींव मजबूत हो पाई।

फ्रांस की क्रांति से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न जो विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाते हैं

प्रश्न : इस्टेट्स जनरल का अधिवेशन बुलाने का मुख्य कारण था

उत्तर : नए करों की स्वीकृति देना

प्रश्न : शक्ति-पार्थक्य के सिद्धांत का प्रतिपादन था

उत्तर : मौन्तेस्क्यू

प्रश्न : मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ था, किन्तु वह सर्वत्र बंधनों में जकङा हुआ है। यह कथन किस पुस्तक का है-

उत्तर : सामाजिक संविदा का

प्रश्न : 5 अप्रैल, 1794 के बाद के 100 दिन तक फ्रांस पर तानाशाह की भाँति शासन करने वाला था

उत्तर : रोबसपियर

प्रश्न : फ्रांस की क्रांति के दौरान विरोधियों को किस ढंग से प्राणदंड दिया जाता था

उत्तर : गिलोटीन द्वारा

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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