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रोम में क्रांति व रोमन गणतंत्र की स्थापना

रोम में क्रांति व रोमन गणतंत्र की स्थापना

रोम में क्रांति व रोमन गणतंत्र की स्थापना (Revolution in Rome and Roman Republic) –

1848 ई. की क्रांति की असफलता के बाद जब निरंकुश शासकों का दमन चक्र इटली के राष्ट्रवादियों पर चल रहा था उसी समय मैजिनी स्वदेश लौट आया था। मैजिनी के नेतृत्व में रोम में विद्रोह हुआ जिसके फलस्वरूप पोप को रोम से भाग कर नेपल्स में शरण लेनी पङी। फरवरी, 1848 ई. में रोम में गणतंत्र की स्थापना हुई। फ्लोरेंस व टस्कनी में भी गणतंत्रों की स्थापना हुई।

रोम में क्रांति व रोमन गणतंत्र की स्थापना

इटली में गणतंत्रवादी विचारधारा के बढते प्रभाव से वहाँ के राजतंत्रवादी भयभीत हो गए। इन्होंने एलबर्ट के नेतृत्व में आस्ट्रिया, के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। 23 मार्च, 1849 ई. को नोवारा के युद्ध में एलबर्ट बुरी तरह पराजित हुआ। इस पराजय से क्षुब्ध होकर उसने अपने पुत्र विक्टर इमानुएल द्वितीय के पक्ष में सिंहासन त्याग दिया। विक्टर को आस्ट्रिया से संधि करनी पङी।

चूँकि पोप यूरोप के समस्त कैथोलिक समुदाय का प्रतिनिधित्व करता था। अतः वे पोप के इस प्रकार पराजित होने से क्षुब्ध थे। फ्रांस के कैथोलिक दल ने राष्ट्रपति नेपोपिलयन तृतीय से पोप को पुनः सिंहासनारूढ करने का आग्रह किया। नेपोलियन ने रोम में अपनी सेनाएं भेजकर पोप को पुनः सिंहासन कर बैठा दिया। इसी प्रकार आस्ट्रिया ने टस्कनी, परमा व मैडोना में पुनः शासकों की नियुक्ति कर दी। मैजिनी इंग्लैण्ड भाग गया। इटली में एक बार फिर आस्ट्रिया का प्रभाव स्थापित हो गया।

इस प्रकार यह इटली के एकीकरण का प्रथम चरण था जिसमें क्रांतिकारियों के सारे प्रयास असफल रहे परंतु भविष्य में इटली के एकीकरण के लिए एक रूपरेखा तैयार हो गयी।

इटली के एकीकरण का द्वितीय चरण (1850-1870ई.)

एकीकरण का यह चरण इटली के लिए वरदान साबित हुआ। इस दौरान इटली के राष्ट्रवादी आंदोलन को ऐसे नेताओं का मार्गदर्शन मिला जिन्होंने इटली को यूरोप के मानचित्र पर एक राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। इनमें कैवूर और गैरीबाल्डी का नाम उल्लेखनीय है।

काउण्ट कैवूर

कैवूर का जन्म 1810 ई. में सार्डिनिया के एक कुलीन परिवार में हुआ था। बचपन से ही उसमें राजनेता बनने की उत्कंठा थी। अतः अध्ययन समाप्ति के बाद उसने कई देशों की यात्रा कर राजनैतिक ज्ञान प्राप्त किया। 1848 ई. में वह प्रथम बार पीडमांट-सार्डीनिया की विधान परिषद का सदस्य बना।

1850 ई. में वह कृषि एवं वाणिज्य मंत्री नियुक्त किया गया। 1852 ई. में उसे अर्थ और नौसेना विभाग भी दिए गए तथा उसकी योग्यता से प्रभावित होकर विक्टर एमानुएल ने 1852 ई. में उसे अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जीवन भर वह इस पद पर बना रहा।

कैवूर के उद्देश्य

कैवूर के उद्देश्य निम्नलिखित थे-

  • आस्ट्रिया को इटली से बाहर निकालना।
  • इटली का एकीकरण सार्डीनिया व पीडमांट के नेतृत्व में करना।

इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये उसने निम्न कार्य किए-

  • सार्डीनिया का औद्योगिक विकास किया।
  • सेना का पुनर्गठन कर उसे आधुनिक शस्त्रों से सुसज्जित किया।
  • इटली की समस्या को अन्तर्राष्ट्रीय समस्या बनाया जिससे यूरोपीयन राष्ट्रों का उसे सहयोग मिल सके।

क्रीमिया का युद्ध

कैवूर को यूरोप में मित्रों की तलाश थी, यह अवसर उसे शीघ्र ही प्राप्त हो गया। 1854 ई. में रूस एवं टर्की के मध्य क्रीमिया का युद्ध आरंभ हुआ। इस युद्ध में ब्रिटेन और फ्रांस टर्की के साथ थे। अतः कैवूर ने भी फ्रांस एवं ब्रिटेन की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए 17,000 सैनिक बिना शर्त क्रीमिया भेज दिए। युद्ध में टर्की को शानदार सफलता मिली तथा कैवूर को एक के बजाय दो मित्र (ब्रिटेन और फ्रांस) मिले।

पेरिस शांति सम्मेलन

1856 ई. के क्रीमिया युद्ध में रूस के समर्पण के बाद पेरिस शांति सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में इंग्लैण्ड और फ्रांस ने आस्ट्रिया के विरोध करने पर भी सार्डीनिया के प्रतिनिधि को सम्मेलन में आमंत्रित किया। इस सम्मेलन में कैवूर ने बङे प्रभावशाली ढंग से इटली के एकीकरण की समस्या तथा आस्ट्रिया की इटली के प्रति नीति को यूरोपियन राष्ट्रों के सम्मुख रखा। ब्रिटिश विदेश मंत्री ने कैवूर की मांग का जोरदार शब्दों में समर्थन किया। इस प्रकार कैवूर ब्रिटेन और फ्रांस का नैतिक समर्थन प्राप्त करने में सफल रहा।

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