रुद्रसेन प्रथम का इतिहास
वाकाटक वंश की प्रधान शाखा का पहला शासक प्रवरसेन प्रथम का पौत्र तथा गौतमीपुत्र का पुत्र रुद्रसेन प्रथम (335-360 ईस्वी) हुआ। वह पद्मावती (ग्वालियर) के भारशिव नाग शासक भवनाग की कन्या से उत्पन्न हुआ था।अपने नाना भवनाग की सहायता से उसने अपने दो विरोधी चाचाओं को जीत लिया। परंतु सर्वसेन को वह पराजित नहीं कर सका। वह एक निर्बल शासक था, जिसके काल में वाकाटकों की शक्ति और प्रतिष्ठा को हानि हुई। कुछ विद्वान रुद्रसेन की पहचान प्रयाग प्रशस्ति के रुद्रदेव से करते हैं, जिसे समुद्रगुप्त ने आर्यावर्त्त के युद्ध में उन्मूलित किया था।
किन्तु ऐसा मानने के लिये कोई आधार नहीं है, क्योंकि रुद्रदेव उत्तर भारत का शासक था, जबकि रुद्रसेन दक्षिण का राजा था। रुद्रदेव भगवान शिव का अनन्य भक्त था। संभव है, अपने नाना भवनाग के प्रभाव से ही शैव हो गया हो। वाकाटक अभिलेखों में उसे महाभैरव का उपासक बताया गया है। उसके नाम के पूर्व सम्राट की उपाधि नहीं मिलती।
Reference : https://www.indiaolddays.com