प्राचीन भारतवैदिक काल

सरस्वती नदी- क्या यह नदी लुप्त हो गई ?

सरस्वती नदी सबसे पवित्र नदी मानी गई है। इसके तट पर वेदों के   वैदिक मंत्रों की रचना की गई थी।

इसे नदियों में अग्रवर्ती,नदीयों की माता, वाणी,बुद्धि तथा संगीत की देवी कहा गया है। इस नदी को ऋग्वेद में  नदीत्तमा भी कहा जाता है। यह नदी ऐसी अदभुत नदी है जो एक स्थान पर दिखती है, तो दूसरे स्थान पर अदृश्य हो जाती है।

  • सरस्वती एक पौराणिक नदी थी। इस नदी की जानकारी वेदों से होती है।
  • ऋग्वेद में इस नदी को अन्नावती , उदकवती नाम दिया गया है।
  • यह नदी हमेशा जल से भरी रहती थी। इसके किनारे अन्न  प्रचुर मात्रा में  होता था।
  • यह नदी पंजाब में सिरमूर राज्य में निकल कर अंबाला तथा कुरु क्षेत्र से होती हुई कर्नाल और पटियाला राज्य में आकर सिरसा जिले की दृशद्वती (कांगार) नदी में मिल गई।
  • मनुस्मृति के अनुसार सरस्वती तथा दृशद्वती के बीच का भू – भाग ब्रह्मावर्त कहलाता था।
सरस्वती नदी से संबंधित महत्वपूर्ण बातें-
  • ऋग्वेद के नदी सूक्त के एक मंत्र में सरस्वती नदी को यमुना के पूर्व  तथा सतलज के पश्चिम में बहती हुई बताया गया है।
  • हरियाणा से राजस्थान होकर बहने वाली मौजूदा सूखी हुई घग्घर – हकरा नदी प्राचीन वैदिक सरस्वती की प्रमुख सहायक नदी थी।
  • सतलज तथा यमुना नदी की धाराएँ सरस्वती नदी में गिरती थी। लेकिन जल प्रवाह के बदलाव के कारण यमुना तथा सतलज ने अपना रास्ता बदल दिया तथा दृशद्वती नदी सूख गई , जिससे सरस्वती नदी भी लुप्त हो गई ।
  • सरस्वती नदी अरब सागर में गिरती थी। यह नदी आज की गंगा नदी की तरह विशालतम नदी थी।उत्तर वैदिक काल तथा महाभारत काल तक यह नदी सूख चुकी थी।
  • वैदिक सभ्यता में सरस्वती नदी सबसे बङी व मुख्य नदी थी
  • इसरो द्वारा किये गए शोध से पता चला है कि, यह नदी हरियाणा, पंजाब तथा राजस्थान से होती हुई भूमिगत रूप में प्रवाहमान है।
सरस्वती नदी और हङप्पा सभ्यता-

सरस्वती नदी के तट पर बसी सभ्यता को हङप्पा या सिन्धु – सरस्वती सभ्यता कहा जाता है।

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