इतिहासप्राचीन भारतसोलंकी वंश
सोलंकी वंश के शासक कर्ण का इतिहास
गुजरात के सोलंकी वंश के शासक भीमदेव प्रथम के बाद उसका पुत्र कर्ण शासक बना, जो एक निर्बल शासक था। उसे मालवा के परमारों ने पराजित किया। नाडोली के चौहानों ने भी उसके राज्य पर आक्रमण कर उसकी सत्ता को थोङे समय के लिये चलायमान कर दिया।
प्रबंधचिंतामणि से पता चलता है, कि कर्ण ने आशापल्ली के भिल्ल राजा आशा के विरुद्ध सफलता प्राप्त की थी। कुमारपाल ने चित्तौङगढ लेख में कर्ण के सूदकूप पहाङी दर्रे के पास मालवों को जीतने का श्रेय दिया गया है। किन्तु इसकी पुष्टि अन्य स्रोतों से नहीं होती।
विजयों की अपेक्षा कर्ण की रुचि निर्माण-कार्यों में अधिक थी। कर्णावती नामक नगर बसाकर वहाँ उसने कर्णेश्वर का मंदिर तथा कर्णसागर नामक झील का निर्माण करवाया था। अन्हिलवाङ के कर्णमेरु नामक मंदिर के निर्माण का श्रेय भी कर्ण को ही दिया जाता है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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