चंद्रगुप्त द्वितीय
- सितम्बर- 2019 -24 सितम्बरइतिहास
वाकाटक शासक हरिषेण का इतिहास
हरिषेण के निर्बल उत्तराधिकारियों के काल में कर्नाटक के कदंब, उत्तरी महाराष्ट्र के कलचुरि तथा बस्तर के नल शासकों ने…
Read More » - 23 सितम्बरप्राचीन भारत
वाकाटकों की प्रधान शाखा के शासकों की सूची
किन्तु ऐसा मानने के लिये कोई आधार नहीं है,क्योंकि रुद्रदेव उत्तर भारत का शासक था, जबकि रुद्रसेन दक्षिण का राजा…
Read More » - 10 सितम्बरइतिहास
वाकाटक शासक प्रवरसेन द्वितीय
वह वैष्णव धर्मानुयायी था। अपने शासन के अंत में प्रवरसेन ने प्रवरपुर नामक एक नई राजधानी स्थापित की, जहाँ उसने…
Read More » - 7 सितम्बरप्राचीन भारत
गुप्त काल में मूर्तिकला का इतिहास
एकमुखी शिवलिंग भूमरा के शिवमंदिर के गर्भगृह में स्थापित है। इन मूर्तियों को मुखलिंग कहा जाता है। मुखलिंगों के अलावा…
Read More » - 6 सितम्बरइतिहास
गुप्त काल में साहित्य तथा विज्ञान का विकास
हरिषेण सम्राट समुद्रगुपत् का सेनापति एवं विदेश सचिव था। उसकी सुप्रसिद्ध कृति प्रयाग-प्रशस्ति है, जिसे इसमें काव्य कहा गया है।…
Read More » - 6 सितम्बरइतिहास
गुप्तों का आर्थिक जीवन कैसा था
गुप्त युग में व्यापारिक प्रगति हुई। लंबी एवं चौङी सङकों द्वारा प्रमुख नगर जुङे हुये थे। भङौंच, उज्जयिनी, प्रतिष्ठान, विदिशा,…
Read More » - 5 सितम्बरइतिहास
प्रभावती गुप्ता का संरक्षण काल
प्रभावतीगुप्ता के समय में वाकाटकों पर चंद्रगुप्त द्वितीय का प्रभाव अत्यधिक था।यही कारण है,कि अपने पूना ताम्रपत्र में प्रभावतीगुप्ता अपने…
Read More » - 4 सितम्बरइतिहास
रुद्रसेन द्वितीय का इतिहास
पृथ्वीसेन प्रथम के बाद उसका पुत्र रुद्रसेन द्वितीय (385-390 ईस्वी) गद्दी पर बैठा। इस समय से वाकाटकों पर गुप्तों का…
Read More » - 4 सितम्बरइतिहास
वाकाटक शासक पृथ्वीसेन प्रथम का इतिहास
दक्षिण महाराष्ट्र के ऊपर वाकाटकों का अधिकार हो गया। नचना तथा गज्ज (बघेलखंड क्षेत्र) से व्याघ्रदेव नामक किसी शासक के…
Read More » - 3 सितम्बरगुप्त काल
वाकाटक-गुप्त संबंध कैसे थे
वाकाटकों तथा गुप्तों के प्रारंभिक संबंधों के विषय में विद्वानों में मतभेद है। इतिहासकार एस.के.आयंगर तथा के.पी.जायसवाल की धारणा है,कि…
Read More »