प्रतिहार
- दिसम्बर- 2019 -11 दिसम्बरइतिहास
स्वतंत्र परमार साम्राज्य की स्थापना : हर्ष अथवा सीयक द्वितीय (945 – 972 ईस्वी)
इस समय प्रतिहार साम्राज्य पतन की अवस्था में था। इस स्थिति का लाभ उठाते हुये सीयक ने मालवा तथा गुजरात…
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शाकंभरी के चौहान वंश का राजनैतिक इतिहास
जांगलदेश के पहले राजा का नाम वासुदेव था। जिसने अजमेर के उत्तर में सांभर (शाकंभरी) क्षेत्र पर अपना अधिकार कर…
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चौहान सत्ता का चर्मोत्कर्ष – विग्रहराज चतुर्थ बीसलदेव
परमार साम्राज्य के विघटन के बाद देश की पश्चिमोत्तर सीमा की रक्षा का भार चाहमानों पर ही आ पङा तथा…
Read More » - नवम्बर- 2019 -29 नवम्बरइतिहास
शाकंभरी का चौहान शासक सिंहराज कौन था
देवपाल के राज्यकाल के बाद ही चाहमान नरेश सिंहराज ने प्रतिहारों की अधीनता से मुक्त होने का जोरदार प्रयास किया…
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गुर्जर-प्रतिहार शासक महीपाल
महेन्द्रपाल के बाद कुछ समय के लिये भोज द्वितीय ने शासन किया। किन्तु दो वर्षों बाद ही उसका सौतेला भाई…
Read More » - 19 नवम्बरइतिहास
गुर्जर-प्रतिहार शासक मिहिरभोज प्रथम
उसने अपने वंश का वर्चस्व बुंदेलखंड में पुनः स्थापित किया तथा जोधपुर के प्रतिहारों (परिहार) का दमन किया।
Read More » - 15 नवम्बरइतिहास
राजपूत राजवंश : राजपूतों की उत्पत्ति संबंधि विविध मत
राजपूत बङे ही वीर तथा स्वाभिमानी होते थे और साहस, त्याग, देश-भक्ति आदे के गुण उनमें कूट-कूटकर भरे हुये थे।…
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पाल वंश के शासकों का इतिहास
ऐसी अराजकतापूर्ण स्थिति में बंगाल के मुख्य लोगों ने गोपाल को समूचे राज्य का शासक चुना। गोपाल ने एक वंश…
Read More » - 4 नवम्बरइतिहास
सामंती व्यवस्था किसे कहते हैं, सामंतवाद भारत में कब आया
सामंतों की उत्पत्ति तथा विकास सामंतवादी व्यवस्था के विकास में एक महत्त्वपूर्ण कङी थी। जहाँ प्रारंभिक काल में प्रशासन का…
Read More » - अक्टूबर- 2019 -1 अक्टूबरइतिहास
गुप्तयुगीन संस्कृति का इतिहास
गुप्त युग में भारतीय संस्कृति के विकास को देखते हुए हिन्दू संस्कृति को स्वर्ण-युग अतवा क्लासिकल युग की संज्ञा दी…
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