चौहान राजवंश का उदय कैसे हुआ?
चौहान राजवंश –

- चौहानों की उत्पत्ति ऋषि वशिष्ट के यज्ञ कुण्ड से हुई।
- वशिष्ट के कुण्ड से चार जातियों का उदय हुआ – 1.) प्रतिहार 2.) परमार 3.) चालुक्य 4.) चौहान।
- चौहान शब्द की उत्पत्ति चाहमान शब्द से हुई है। चाहमान शब्द का पता पृथ्वीराज विजय नामक ग्रंथ से चलता है।
- सांभर में वासुदेव चौहान ने 551 ई. में चौहान वंश की नींव रखी।
- सांभर के चौहान वंश का संस्थापक, चौहानों का आदिपुरुष, चौहान वंश मूल पुरुष वासुदेव चौहान था।
- सांभर झील का निर्माण वासुदेव ने करवाया था। इसका पता बिजौलिया शिलालेख से चलता है।
- सांभर में शाकंभरी माता का मंदिर है। शाकंभरी माता चौहानों की कुलदेवी है।
चौहान राजवंश की शाखायें-
सांभर के चौहान – सांभर को सपादलक्ष भी कहा जाता है।
चौहानों की पहली राजधानी का नाम अहिच्छत्रपुर था।
जांगल प्रदेश तथा चौहानों की प्रारंभिक राजधानी अहिच्छत्रपुर थी।
चौहानों का सबसे पहला शिलालेख हंसोट प्राप्त हुआ है।
चौहानों के बारे में दिये गये मत-
अग्निकुंड से उत्पत्ति- पृथ्वीराज रासौ, हम्मीर रासौ, सूर्यमल्ल मिश्रण, मुहणौत नणसी
सूर्यवंशी – पृथ्वीराज विजय, हम्मीर महाकाव्य, डॉ. गौरीशंकर हीराचंद ओझा, पृथ्वीराज III का बेदला अभिलेख
चंद्रवंशी – 1173 ई. का हॉंसी का शिलालेख,
विदेशी – कर्नल जेम्स टॉड, विलियम क्रुक, वी.ए.स्मिथ
ब्राह्मणवंशीय – दशरथ शर्मा, गोपीनाथ शर्मा, कायमखाँ रासो
चौहान वंश के संस्थापक–
- सांभर –
सांभर से निकली चौहानों की शाखायें – 1.) नाडौल – इसके संस्थापक लक्ष्मणदेव चौहान थे। 940 ई. में इसकी स्थापना की गयी। 2.) जालौर – कीर्तिपाल चौहान ने 1179 ई. में की थी। जालौर से चौहान वंश की सिरोही की शाखा निकली जिसके संस्थापक लुम्बा चौहान थे इन्होंने 1311 ई. में सिरोही के चौहान वंश की स्थापना की थी।
- अजमेर-
1113 ई. में इस शाखा की स्थापना अजयपाल चौहान ने की थी।
- रणथंभौर-
1194 ई. में गोविंदराज ने स्थापना की थी।