चालुक्य शासक जयसिंह द्वितीय का इतिहास
कल्याणी के चालुक्य शासक विक्रमादित्य पंचम के बाद उसका भाई जयसिंह द्वितीय शासक बना। उसने कई युद्ध किये। मालवा के परमार शासक भोज ने उसके राज्य पर आक्रमण किया तथा लाट और कोंकण पर अधिकार कर लिया। परंतु बाद में जयसिंह ने उसे पराजित कर पुनः अपने प्रदेशों पर अधिकार कर लिया।
जयसिंह द्वितीय के समय में पुनः चोलों के साथ युद्ध छिङा। वेंगी पर इस समय चोलों का प्रभाव था। 1019 ई. में वहाँ के शासक विमलादित्य की मृत्यु के बाद उसकी चोल राजकुमारी कुन्दवै देवी से उत्पन्न पुत्र राजराज तथा उसके सौतेले भाई विष्णुवर्धन एवं विजयादित्य सप्तम के बीच शासन के लिये संघर्ष छिङा।चोल राजराज के समर्थक थे। अतः जयसिंह ने विजयादित्य की सहायता के लिये वेंगी पर आक्रमण किया। जयसिंह ने तुंगभद्रा नदी पार कर बेलारी पर अधिकार कर लिया। उसका सामना करने के लिये राजेन्द्र चोल ने दो सेनायें उत्तर की ओर भेजी। पहली सेना ने राजेन्द्र चोल के नेतृत्व में मस्की के युद्ध में जयसिंह को पराजित कर उसे तुंगभद्रा के उत्तर में भगा दिया। दूसरी सेना को भी वेंगी में सफलता मिली तथा विजयादित्य युद्ध में पराजित हो भाग खङा हुआ। राजेन्द्र ने वेंगी में राजराज को गद्दी पर बैठा दिया।
ऐसा लगता है, कि चोल सेना और आगे बढ सकी तथा तुंगभद्रा नदी दोनों के राज्यों की सीमा स्वीकार कर ली गयी। इसके बाद जयसिंह ने 20 वर्षों तक शासन किया। इस काल के किसी युद्ध के विषय में सूचना प्राप्त नहीं होती है। इस समय साहित्य तथा ललित कलाओं की वृद्धि हुई। जयसिंह द्वितीय ने जगदेकमल्ल की उपाधि ग्रहण की। जयसिंह द्वितीय ने 1043 ई. तक शासन किया।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 2. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास, लेखक- वी.डी.महाजन
