मुगल भू-राजस्व दर क्या थी
अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-
- मुगलों की भू राजस्व प्रणाली
- मुगल भू-राजस्व अधिकारी
- मुगल काल में जागीरदारी प्रथा कैसी थी
- मुगलकालीन प्रांतीय शासन व्यवस्था कैसी थी
अकबर के शासन काल में सामान्य रूप से उपज का 1/3 भाग भू-राजस्व के रूप में लिया जाता था किन्तु यह गुजरात में उपज का 1/2 भाग तथा राजपूताना में 1/7 या 1/8 भाग भू-राजस्व वसूल किया जाता था।
शाहजहाँ के शासन काल में सामान्य भूमि पर भू-राजस्व बढकर 50 प्रतिशत तक हो गया था, जबकि कुओं द्वारा सिंचित भूमि पर 1/3 भाग ही लिया जाता था।
शाहजहाँ के काल में भू-राजस्व वसूल करने के लिए ठेकेदारी प्रथा का प्रचलन हुआ जिससे राज्य और किसानों का संपर्क प्रत्यक्ष रूप से टूट गया।
शाहजहाँ ने जमा और हासिल के अंतर को पूरा करने के लिए मासिक-अनुपात के आधार पर वेतन देने तथा उसी अनुपात में सैनिक दायित्वों में कमी करने का आदेश दिया।
शाहजहाँ के काल में राज्य की लगभग 70 प्रतिशत भूमि जागीर के रूप में जागीरदारों को दे दी गयी थी।
किसानों को भू-राजस्व देने के अलावा भूमि की पैमाइश करवाने पर प्रति बीघा एक दाम के हिसाब से जाबिताना(भूमि की पैमाइश के संबंध में होने वाला व्यय)जरीबाना(ढाई प्रतिशत) एवं महासिलाना(5 प्रतिशत) तथा दसेहरी नामक अनेक उपकर तथा आबबाव देने पङते थे।
दसेहरी नामक कर प्रति बीघा के हिसाब से वसूल किया जाता था।
Reference : https://www.indiaolddays.com/