प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल :अजंता
महाराष्ट्र प्रान्त के ओरंगाबाद जिले में अजन्ता नाम की पहाड़ी है। हैदराबाद के समीप जलगाँव नामक रेलवे स्टेशन से लगभग 37 मील की दूरी पर फरदापुर नामक ग्राम है। यहाँ से 2 मील दक्षिण – पश्चिम की ओर अजन्ता नामक ग्राम बसा हुआ है। इसी के नाम पर पहाड़ी का नाम अजन्ता पड़ गया।

यहाँ पर्वत को काटकर 29 गुफायें बनायी गयी हैं जिनकी छतों और दिवारों पर अत्युत्कृष्ट चित्रकारियाँ मिलता है। अजन्ता में अब केवल छ: गुफाओं (9, 10, 16, 17, 1-2) के चित्र ही अवशिष्ट है, अन्य नष्ट हो गये है। इनका समय ईसा – पूर्व प्रथम शती से लेकर सातवीं शती ईस्वी तक है।
9वीं – 10वी. गुफाओं के चित्र सर्वप्राचीन है जिसका समय ईसा पूर्व प्रथम शती है। इन गुफाओं के चित्रों में एक राजकीय जुलूस का चित्र प्रसिद्ध है। 16वीं -17वीं गुफाओं के चित्र गुप्तकाल के है और वे कला दृष्टि से सर्वाोत्तम है।
‘मरणासन्न राजकुमारी’ (Dying Princess) तथा ‘माता और शिशु’ (Mother and Child) नामक चित्र अत्यन्त सुन्दर, आकर्षण एवं प्रभावोत्पादक है। भारतीय तथा विदेशी दोनों ही कलाविदों ने इसकी प्रशंसा की है।
पहली – दुसरी गुफाओं के चित्र सातवीं शती के है। यहाँ के चित्रों में चालुक्य नरेश पुलकेशिन् द्वितीय द्वारा फारसी दूत – मण्डल का स्वागत करते हुए दिखाया गया चित्र प्रसिद्ध है। इस प्रकार समग्ररूप से अजन्ता की चित्रकला बड़ी प्रशंसनीय है। यहाँ के भित्तिचित्र विश्व प्रसिद्ध इतिहास में सर्वथा बेजोड़ है।चित्रकला के अतिरिक्त अजन्ता से मूर्तिकला के भी सुन्दर उदाहरण मिलते है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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